संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त नवी पिल्ले के निर्देश पर सात विभिन्न स्रोतों के आधार पर ये आँकड़े जारी किए गए हैं. नवी पिल्लई का कहना था कि इन स्रोतों के मुताबिक मरने वालों का आँकड़ा साठ हजार को पार कर गया है और ये बेहद चौंकाने वाला है. इससे पहले सीरिया में विद्रोही समूहों ने करीब पैंतालीस हजार लोगों के मरने का अनुमान लगाया था.

इस शोध के आँकड़े सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक पेट्रोल पंप के पास हुए हवाई हमलों के कुछ ही घंटों बाद जारी किए गए थे. इस हमले में करीब सत्तर लोगों की मौत हो गई और यह अब तक के सबसे गंभीर हमलों में से एक बताया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में आँकड़े सरकारी और विपक्षी समूह दोनों की सहायता से जुटाए गए हैं.

परीक्षण

बेनेटेक रिसर्च ग्रुप के शोधकर्ताओं ने अपने सभी सात स्रोतों से मृतकों के बारे में करीब डेढ़ लाख रिपोर्टों का अध्ययन किया. इन लोगों ने रिपोर्टों में दर्ज मृतकों की पहचान के लिए उनके पहले और अंतिम नाम के अलावा उनके निवास स्थान से भी मिलान किया.

इन सब प्रक्रियाओं के बीच शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि नवंबर 2012 तक सीरिया विद्रोह में मरने वालों की संख्या 59,648 है. हालांकि इन शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि उनके किसी भी स्रोत ने किसी अज्ञात मौत के बारे में कुछ भी प्रकाशित नहीं किया था.

इस रिपोर्ट में ये विवरण नहीं दिया गया है कि मरने वालों में कौन सैनिक थे, कौन आम नागरिक और कौन विद्रोही. लेकिन ये जरूर बताया गया है कि करीब 76 प्रतिशत मृतकों की पहचान पुरुषों के रूप में की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा से सबसे ज़्यादा प्रभावित स्थल थे- ग्रामीण दमिश्क और होम्स प्रांत. पिल्ले ने कहा, “मृतकों की संख्या हमारे अनुमान से कहीं ज़्यादा है.”

उन्होंने इस बात पर ज़ोर देकर कहा कि संघर्ष के दौरान दोनों पक्षों के लोगों की मौतें हुई हैं. सीरिया में सुधार की मांग करते हुए सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत फरवरी 2011 में हुई थी.

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