संस्था का कहना है कि दुर्घटना में सलामत बचने वाले लोगों को गंभीर चोटें लगी हैं जिसके चलते वे काम पर लौट नहीं पाए हैं.
अप्रैल महीने में ढाका के नज़दीक राना प्लाज़ा बिल्डिंग के गिर जाने से 1,130 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
ऐक्शन एड ने जीवित बचे लोगों में से दो तिहाई लोगों और उनके रिश्तेदारों से बातचीत की.
संस्था ने पाया कि जितने लोगों से पूछा गया उनमें से 94 प्रतिशत को अपने मालिकों से बीमारी की हालत में मिलने वाली तनख़्वाह या मुआवज़ा समेत कोई क़ानूनी मदद नहीं मिली थी.
सर्वे में ये भी पता चला है कि 92 फ़ीसदी लोग काम पर नहीं लौट पाए हैं और 63 फ़ीसदी को शारीरिक चोटें, अंग काटे जाने, लकवे और भयंकर दर्द से गुज़रना पड़ा है.
92 फ़ीसदी लोगों ने यह भी कहा कि वह गहरे आघात से गुज़रे हैं.
क़र्ज़
राना प्लाज़ा हादसे के प्रभावित मुआवज़े की मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.
ऐक्शन एड का कहना है कि अब तक प्राइमार्क ही एक ऐसी कंपनी है जिसने हर प्रभावित को क़रीब 12000 रुपए की राहत पहुंचाई है.
कंपनी का कहना है कि वह अगले तीन महीने तक उन्हें पैसे देती रहेगी.
संस्था के अनुसार राना प्लाज़ा दुर्घटना में बचे लोग गहरे आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं.
आधे से ज़्यादा लोगों का कहना है कि उनके सिर पर क़र्ज़ बढ़ता जा रहा है और 90 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि उनके पास कोई बचत नहीं है.
यूरोपियन यूनियन और अमरीका के खुदरा व्यवसायियों ने कहा है कि वे बांग्लादेश में जिन कारख़ानों का इस्तेमाल करते हैं उनके काम की परिस्थितियों में सुधार करेंगे लेकिन ट्रेड यूनियन और रीटेलरों के बीच लंबी अवधि के मुआवज़े पर कोई सहमति नहीं बनी है.
मंगलवार को बांग्लादेश सरकार और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने बिल्डिंगों की सुरक्षा और कपड़ा कारख़ानों में आग से निपटने के बेहतर उपाय अपनाने की दिशा में क़दमों की घोषणा की है.
साढ़े तीन साल लंबी और 2 करोड़ 40 लाख की लागत वाली इस योजना का ख़र्च ब्रितानी और हॉलैंड की सरकारें उठाएंगी.
ढाका से बीबीसी संवाददाता महफ़ूज़ सादिक़ का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन पर काम की बेहतर परिस्थितियां बनाने की ज़िम्मेदारी है लेकिन इसी महीने की शुरुआत में एक टेक्सटाइल प्लांट में लगी आग ने कर्मचारियों के लिए ख़तरनाक स्थितियों को फिर से उजागर किया है.
चीन के बाद बांग्लादेश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेडीमेड कपड़ों का निर्यातक है. राना प्लाज़ा में हुआ हादसा देश के इतिहास का अब तक का सबसे बुरा औद्योगिक हादसा था.
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