इसी तरह यदि हम टीवी देखने में रोज दो घंटे की कटौती करें तो उम्र 1.4 वर्ष बढ़ सकती है.

ये रिपोर्ट ऑनलाइन जर्नल बीएमजे ओपन में छपी है.

लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पांच अलग-अलग अध्ययनों पर आधारित ये अमरीकी अनुमान व्यक्तिगत जोखिम के बारे में अनुमान लगाने के लिए बहुत ज्यादा भरोसे लायक नहीं हैं.

अमरीकी अध्ययन

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेविड स्पिगेलहाल्टर कहते हैं, ''ये जनसंख्या का एक अध्ययन है और इसमें व्यक्तिगत तौर पर ये नहीं बताया गया है कि सोफा पर बैठने का क्या असर हो सकता है.''

वे कहते हैं, ''ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाली पीढ़ी यदि थोड़ा ज्यादा चलेगी-फिरेगी तो हो सकता है कि वो औसतन ज्यादा जिए.''

प्रोफेसर डेविड स्पिगेलहाल्टर कहते हैं, ''लेकिन हममें से कुछ ही लोग ऐसे होंगे जो हर दिन तीन घंटे से कम समय बैठकर गुजारते हैं, ये बड़ा सकारात्मक लक्ष्य प्रतीत होता है.''

वयस्कों को सलाह दी जाती है कि वो हर दिन कम से कम ढ़ाई घंटे हल्का शारीरिक व्यायाम जैसे पैदल चलना या साइकिल की सवारी जरूर करें. साथ ही उन्हें मांसपेशियों को मजबूत बनाने वाली कसरत जैसे वेट-लिफ्टिंग वगैरह करने को भी कहा जाता है.

इसके बावजूद यदि आप किसी कार्यालय में काम करते हैं तो हो सकता है कि आपको अपना ज्यादातर काम बैठकर करना होता होगा.

वैज्ञानिक इस ओर इशारा करते हैं कि ज्यादा बैठने का सीधा संबंध स्वास्थ्य से है.

वैसे कई अध्ययनों में पाया गया है कि बैठने और टीवी देखने जैसी स्थिति का संबंध मधुमेह और दिल की बीमारी से है जिसकी वजह से जान का खतरा बढ़ जाता है.

ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन में सीनियर कार्डियक नर्स नताशा स्टीवर्ट कहती हैं, ''ये शोध केवल अधिक बैठने की स्थिति और उम्र के बीच सहज संबंध की ओर इशारा करता है. इसमें केवल अमरीकी आबादी का अध्ययन किया गया है. इसलिए हमें और शोध करने की जरूरत है कि ब्रिटेन की आबादी पर इसका क्या असर पड़ता है.''

वे कहती हैं, ''बहरहाल इससे ये जरूर पता चलता है, जो हम पहले से जानते हैं कि सुस्ती का संबंध दिल की बीमारियों से है और ब्रिटेन में हालिया दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि हमें अपने बैठने का समय कम करना चाहिए.''

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