कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। 7 मार्च 1952 को एंटीगुआ में जन्में आइसैक विवियन एलेक्जेंडर रिचर्ड्स को बचपन से ही खेल के प्रति लगाव था। यही वजह है कि वह बचपन में क्रिकेट, फुटबॉल व अन्य गेम खेला करते थे। स्कूली दिनों में उन्हें क्रिकेट और फुटबॉल दोनों का शौक था मगर इस खिलाड़ी को पहचान बतौर क्रिकेटर मिली। हालांकि इंटरनेशनल क्रिेकट में पर्दापण करने से पहले रिचर्ड्स बरमूडा और एंटीगुआ के लिए प्रोफेशनल फुटबॉल मैच खेल चुके थे। क्रिकइन्फो पर उपलब्ध डेटा के मुताबिक, साल 1974 में फीफा वर्ल्ड कप क्वॉलीफॉयर मैच में रिचर्ड्स ने बरमूडा टीम का प्रतिनिधित्व किया। यह CONCACAF चैंपियनशिप मैच था, हालांकि कुछ लोग रिचर्ड्स के फीफा वर्ल्डकप खेलने का दावा करते हैं मगर यह सिर्फ अफवाह है।
फुटबॉलर से बने क्रिकेटर
फुटबॉल में हाथ आजमाने के बाद रिचर्ड्स का रुझान क्रिकेट की ओर मुड़ गया और वह घरेलू क्रिकेट मैचों में खेलने लगे। देखते ही देखते रिचर्ड्स एक खतरनाक बल्लेबाज बन गए और 22 साल की उम्र में उन्हें इंटरनेशनल डेब्यू करने का मौका मिल गया। दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने साल 1974 में भारत के खिलाफ बंगलुरु में अपना पहला टेस्ट खेला। हालांकि रिचर्ड्स अपने पहले मैच को यादगार नहीं बना पाए और टेस्ट की दोनों पारियों में मिलाकर कुल 7 रन बनाए। हालांकि उसी साल दिसंबर में भारत के खिलाफ खेलते हुए अपने दूसरे ही टेस्ट मैच में रिचर्ड्स ने 192 रन की पारी खेलकर दुनिया को बता दिया कि क्रिकेट जगत में एक बड़े बल्लेबाज की इंट्री हो गई।
ऐसा है इंटरनेशनल रिकॉर्ड
सर विवियन रिचर्ड्स ने वेस्टइंडीज के लिए करीब 17 साल तक क्रिकेट खेला है। इस दौरान रिचर्ड्स ने 121 टेस्ट खेले हैं जिसमें 50.23 की औसत से 8540 रन बनाए। इसमें 24 शतक और 45 अर्धशतक भी शामिल हैं। यही नहीं वनडे की बात करें तो इस दिग्गज बल्लेबाज ने 187 मैच खेलकर 47.00 की औसत से 6721 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से 11 शतक और 45 अर्धशतक निकले। वनडे में रिचर्ड्स का हाईएस्ट वनडे स्कोर 189 रन है।
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