हालाँकि अब स्थिति पर काबू पा लिया गया है.
हिंसा की शुरुआत तब हुई जब 'लिटिल इंडिया' नाम से मशहूर ज़िले में एक निजी बस से कुचलकर 33 साल के एक व्यक्ति की मौत हो गई.
इस घटना के बाद क़रीब चार सौ विदेशी कामगार सड़कों पर उतर आए, जहां उनकी पुलिस के साथ झड़प हुई.
हिंसक भीड़ ने पुलिस की गाड़ियों और एंबुलेंस में आग लगा दी.
इसमें क़रीब 18 लोग घायल हुए हैं जिनमें अधिकांश पुलिस अधिकारी हैं.
'तीस साल में पहला दंगा'
पुलिस आयुक्त एनजी जो ही ने कहा कि सिंगापुर में पिछले 30 साल से अधिक समय में यह पहला दंगा था. उन्होंने दंगे को असहनीय और निंदनीय बताया.
"सिंगापुर के लिटिल इंडिया में कल हुई हिंसा की जांच सिंगापुर के अधिकारी कर रहे हैं. हमें लगता है कि स्थिति नियंत्रण में है. सिंगापुर के अधिकारियों ने समाज के सभी वर्गों से शांति बनाए रखने की अपील की है. हमें उम्मीद है कि सभी पक्ष शांति कायम करेंगे"
-सिंगापुर स्थित भारतीय उच्चायोग
सख्त प्रशासन वाले सिंगापुर में इस तरह की हिंसा का भड़कना एक असाधारण घटना है.
यह अमीर देश बहुत हद तक विदेशी कामगारों पर निर्भर है. यहां के निर्माण क्षेत्र में काम करने वालों में दक्षिण एशिया से आने वाले मज़दूरों की संख्या अधिक है.
'लिटिल इंडिया' में रविवार को बहुत से लोग ख़रीदारी, पीने-पिलाने और मेलजोल बढ़ाने के लिए जमा होते हैं.
घटना के बाद सिंगापुर स्थित भारतीय उच्चायोग ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि सिंगापुर के लिटिल इंडिया में हुई हिंसा की जांच सिंगापुर के अधिकारी कर रहे हैं.
बयान में कहा गया, "हमें लगता है कि स्थिति नियंत्रण में है. सिंगापुर के अधिकारियों ने समाज के सभी वर्गों से शांति बनाए रखने की अपील की है. हमें उम्मीद है कि सभी पक्ष शांति कायम करेंगे."
बयान के मुताबिक घटना के कारणों का पता लगाने के लिए भारतीय उच्चायोग सिंगापुर के अधिकारियों के साथ संपर्क बनाए हुए है.
दुर्घटना में मारे गए भारतीय मूल के व्यक्ति की पहचान करने और पीड़ित भारतीयों को सहायता उपलब्ध कराने के प्रयास भी जारी हैं.
वाहनों पर निकाला गुस्सा
सोशल मीडिया पर आई तस्वीरों और वीडियो में देखा जा सकता है कि भीड़ पुलिस की दो कारों को पलट रही है. कुछ निजी गाड़ियों को भी नुक़सान हुआ है.
सिंगापुर के नागरिक रक्षा बल (एससीडीएफ़) ने एक बयान में कहा है कि स्थानीय समय के अनुसार 21.25 बजे पर हादसा होने के बाद आपातकालीन सेवा को सतर्क कर दिया गया.
बयान के मुताबिक़, ''घटनास्थल पर पहुंचने के बाद पता चला कि बस के नीचे एक आदमी फंसा है. एससीडीएफ़ के पैरा चिकित्सा कर्मी ने उसे मृत घोषित कर दिया. एससीडीएफ़ के हाइड्रोलिक उपकरणों से उसका शव बाहर निकाला गया.''
सिंगापुर में फैली हिंसा पर काबू पाने का प्रयास करती पुलिस
बयान में कहा गया है, "एससीडीएफ़ के राहतकर्मी जब उस व्यक्ति को जब बाहर निकाल रहे थे तो उन पर आग के गोले फेंके गए."
बयान के मुताबिक़ इस हिंसा में एससीडीएफ़ के नौ वाहन क्षतिग्रस्त हो गए, इनमें से पांच वाहनों को जला दिया गया.
सिंगापुर में दंगा फैलाने वालों के सात साल की जेल और कोड़े मारने की सज़ा का प्रावधान है.
प्रधानमंत्री का बयान
सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली हसिन लुंग ने कहा, "हिंसा किसी भी वजह से भड़की हो, लेकिन इस तरह की हिंसा, विध्वंस और आपराधिक व्यवहार के लिए किसी भी तरह का बहाना नहीं चलेगा.''
"किसी भी वजह से हिंसा भड़की हो, इस तरह की हिंसा, विध्वंस और आपराधिक व्यवहार के लिए किसी भी तरह का बहाना नहीं चलेगा"
-ली हसिन लुंग, प्रधानमंत्री, सिंगापुर
उन्होंने एक बयान में कहा है, "दोषियों की पहचाने करने और उन पर क़ानूनी कार्रवाई करने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे."
निर्माण से जुड़े कम मज़दूरी वाले जैसे क्षेत्रों में सिंगापुर विदेशी कामगारों पर निर्भर है. इसमें काम करने वाले अधिकतर युवा हैं और वो भारत और बांग्लादेश जैसे देशों से आते हैं.
वे छोटे छोटे कमरों में रहते हैं और कमाकर पैसा घर भेजते हैं.
लिटिल इंडिया दक्षिण एशियाई रेस्त्रांओं और दुकानों के लिए मशहूर हैं. इन मज़दूरों को जब छुट्टी मिलती है तो वे इस इलाक़े में जमा होते हैं.
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