कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। सीडीएसएल के आंकड़ों पर गौर करें तो जुलाई के पहले सप्ताह यानी 1 जुलाई से 8 जुलाई के दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय शेयर बाजारों में 4096.13 करोड़ रुपये की बिकवाली की। जबकि जून के पहले सप्ताह 1 जून से 8 जून के बीच एफआईआई ने 10079.49 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। तुलनात्मक सप्ताह में एफआईआई ने करीब 6000 करोड़ रुपये कम बिकवाली की है। यदि अगले सप्ताह भी ऐसा ही रहा तो बाजार में तेजी बनी रह सकती है।

FII investment in June FII investment in July
01/06/22 -994.67 01/07/22 -260.79
02/06/22 -722.39 04/07/22 -2857.39
03/06/22 -571.4 05/07/22 -1433.67
06/06/22 -3694.87 06/07/22 2133.01
07/06/22 -1854.22 07/07/22 -795.5
08/06/22 -2241.94 08/07/22 -881.79
Total -10079.49 Total -4096.13


सेंसेक्स ने लगाई हैट्रिक, निकट भविष्य में तेजी का अनुमान
एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई के पहले सप्ताह यानी 1 जुलाई को बीएसई का प्रमूख सूचकांक सेंसेक्स 52907 अंक पर बंद हुआ था, जो 8 जुलाई को एक सप्ताह के दौरान 1574 अंक उछल कर 54481 अंक के स्तर पर पहुंच कर बंद हुआ। वहीं जून के पहले सप्ताह यानी 1 जून को सेंसेक्स 55381 अंक पर बंद हुआ था, जो 8 जून को एक सप्ताह में 489 अंक फिसल कर 54892 अंक के स्तर पर आकर बंद हुआ था। तुलनात्मक सप्ताह में सेंसेक्स की तेजी से बैंकिंग, फाइनेंस, एफएमसीजी, इंफ्रा व आईटी शेयरों में लाभ देखने को मिला है।

Sensex in June 1st week Sensex in July 1st week
08/06/22 54892 08/07/22 54481
01/06/22 55381 01/07/22 52907
-489 1574


कच्चे तेल का भाव फिसला, घट सकती है महंगाई
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल डब्ल्यूटीआई अगस्त वायदा का भाव जुलाई के पहले सप्ताह यानी 1 जुलाई को 108.4 डाॅलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ था जबकि एक सप्ताह बाद 8 जुलाई को 6.9 डाॅलर फिसल कर 101.5 डाॅलर प्रति बैरल रह गया। जबकि जून के पहले में 1 जून को कच्चा तेल 115.2 डाॅलर प्रति बैरल के भाव पर बंद हुआ था, जो 8 जून को 6.9 डाॅलर प्रति बैरल उछल कर 122.1 डाॅलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गया। तुलनात्मक सप्ताह में कच्चा तेल 20.6 डाॅलर प्रति बैरल सस्ता है। उम्मीद है कि आने वाले समय में कच्चे तेल के भाव नीचे आने से इससे जुड़ी चीजों में सकारात्मक बदलाव होगा यानी बाजार में तेजी और महंगाई पर लगाम लगेगी।

Crude Oil WTI Futures - Aug 22 in June 1st week Crude Oil WTI Futures - Aug 22 in July 1st week
08/06/22 122.1 08/07/22 101.5
01/06/22 115.2 01/07/22 108.4
6.9 -6.9


मंदी की आशंका के लिए जिम्मेदार हालात
यूएस फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम एच पॉवेल ने पिछले महीने ब्याज दरों में बढ़ोतरी करते हुए कहा था कि सप्लाई चेन बाधित होने की वजह से डिमांड रोकने तथा महंगाई को काबू करने के लिए यह जरूरी है। इसके बावजूद रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहने की वजह से खाद्य पदार्थों तथा कच्चे तेल के भाव में कमी लाना मुश्किल है। ध्यान रहे कि रूस दुनिया का तकरीबन एक तिहाई कच्चा तेल उत्पादन करता है। रूस तथा यूक्रेन अच्छी-खासी मात्रा में गेहूं की पैदावार व निर्यात करते हैं। दोनों देशों के बीच युद्ध से दुनिया भर की सप्लाई चेन बाधित हुई है। चीन में कोरोना वायरस पर कंट्रोल करने के लिए गत माह लाॅकडाउन की वजह से उत्पादन गिरने से भी हालात खराब हुए।
बाजार की तेजी व मंदी की आशंका के बीच रणनीति
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज में रिसर्च हेड विनोद नायर के मुताबिक, कच्चे तेल और कमोडिटी के भाव में गिरावट की वजह से निवेशकों में भरोसा बढ़ा है। नजदीकी समय में बाजार में तेजी बरकरार रह सकती है। रुपये की गिरावट रोकने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। बुधवार को आरबीआई ने भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों से कर्ज लेने की सीमा को बढ़ा दिया है। इससे हालात में सुधार की संभावना दिख रही है। इधर चीन में लाॅकडाउन में ढील तथा प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए राहत पैकेज के संकेत मिलने से बाजार में तेजी की उम्मीद बंधी है। मौजूदा हालात देखते हुए मंदी की एक मुख्य वजह रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहने से निवेशकों को डरने की तो नहीं लेकिन सतर्क जरूर रहने की जरूरत है। वे बाजार की तेजी का लाभ तो लें लेकिन संभल कर।

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