मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाई जाने वाली लोहड़ी उत्तर भारत का एक प्रसिद्ध त्योहार है। पौष के अंतिम दिन सूर्यास्त के बाद (माघ संक्रांति से पहले) यह पर्व मनाया जाता है। यह मुख्यत: पंजाब का पर्व है।
लोहड़ी यानी ल (लकड़ी) और ओह (गोहा यानी सूखे उपले) और ड़ी (रेवड़ी) लोहड़ी के प्रतीक हैं।
पौराणिक कथा है कि लोहड़ी दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि-दहन की याद में ही यह अग्नि जलाई जाती है। लोहड़ी से कई दिन पहले ही लोहड़ी के लोकगीत गाकर लकड़ी और उपले इकट्ठे किए जाते हैं। संचित सामग्री से चौराहे या मुहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाई जाती है और इसकी परिक्रमा की जाती है।
रेवड़ी, मूंगफली, मक्के के भुने दाने अग्नि की भेंट किए जाते हैं तथा ये ही चीजें प्रसाद के रूप में लोगों को बांटा भी जाता है।
12 जनवरी को है स्कंद षष्ठी, जानें कब है मकर संक्रांति और लोहड़ी
त्योहार एक नाम अनेक : मकर संक्रांति, पोंगल, लोहड़ी मनाने की एक खास वजह
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