6 गुना अधिक बजट मिलता
जी हां उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति से एक दो नहीं बल्कि 6 गुना अधिक बजट मिलता है। यकीन न हो तो उदाहरण में इस साल के बजट को ही ले लीजिए। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राष्ट्रपति के लिए जहां 66 करोड़ रुपये आवंटित किए तो वहीं उपराष्ट्रपति के लिए 377.21 करोड़ रुपये का आवंटित किए हैं।
सचिवालय उपराष्ट्रपति के अधीन
हालांकि उपराष्ट्रपति का बजट ज्यादा होने के पीछे कई कारण कहे जाते हैं। जैसे उपराष्ट्रपति संसद के उच्च सदन राज्यसभा का पदेन चेयरमैन होता है। जिससे राज्यसभा का चेयरमैन होने के नाते उनके पास उनका सचिवालय होता है। जहां 15 सौ से अधिक अधिकारी और कर्मचारी होने से बजट ज्यादा होता है।
चैनल का मुखिया भी उपराष्ट्रपति
इतना ही नहीं बजट ज्यादा होने के ऐसे और भी दूसरे कारण हैं। जैसे राज्यसभा का एक खुद का राज्यसभा टीवी चैनल चलता है। राज्यसभा के इस टीवी चैनल का मुखिया भी देश का उपराष्ट्रपति ही होता है। चैनल राज्यसभा के अंदर की हर गतिविधि को कवर करता है। इसमें भी बड़ी संख्या में कर्मचारी तैनात होते हैं।
उपराष्ट्रपति निर्णय में स्वंतत्र
उपराष्ट्रपति अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों पर स्वविवेक से निर्णय लेने के लिए स्वंतत्र होता है। बजट में इतना अंतर भले ही लेकिन जहां राष्ट्रपति आलीशान राष्ट्रपति भवन में रहते हैं वहीं उपराष्ट्रपति को कैबिनेट मंत्री स्तर के बंगले में रहते हैं। वहीं राष्ट्रपति जब चाहे उपराष्ट्रपति को हटा सकता है।
2.5 हजार करोड़ रुपये का है कटे हुए बालों का बिजनेसInteresting News inextlive from Interesting News Desk
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