कराची (पीटीआई)। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के एक पूर्व अध्यक्ष ने खुलासा किया है कि शोएब अख्तर का करियर साल 2000-01 में खत्म हो जाता। अगर उस समय के आईसीसी प्रमुख जगमोहन डालमिया ने उनकी मदद नहीं की होती। 1999 से 2003 तक पीसीबी के अध्यक्ष रहे तौकीर जिया के मुताबिक, 1999 में आईसीसी ने अख्तर के गेंदबाजी एक्शन की जांच को लेकर आदेश दिया था। तब जगमोहन डालमिया ने उन्हें बचा लिया था, नहीं तो रावलपिंडी एक्सप्रेस के करियर पर वहीं विराम लग जाता।
डालमिया ने अख्तर का किया सपोर्ट
भारत के सबसे बड़े खेल प्रशासक माने जाने वाले जगमोहन डालमिया ने 1997 से 2000 तक आईसीसी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इन्हीं के कार्यकाल में अख्तर का बॉलिंग एक्शन सवाल के घेरे में आया था। तौकीर जिया कहते हैं, 'जगमोहन, जो आईसीसी के अध्यक्ष रह चुके थे उन्होंने शोएब अख्तर के गेंदबाजी एक्शन मामले में हमारा बहुत समर्थन किया। डालमिया ने आईसीसी सदस्यों के खिलाफ जाकर अख्तर के गेंदबाजी एक्शन को वैलिड ठहराया। तब उन्होंने सबको बताया कि जन्म से ही अख्तर के हाथ में कुछ खराबी थी, जिसके चलते उनका हाई ऑर्म एक्शन नहीं बनता था, इसलिए उनकी गेंदबाजी को अनवैलिड नहीं किया जा सकता।
इसलिए पाक हारा था 2003 विश्वकप
पाकिस्तानी चैनल में बात करते हुए तौकीर जिया ने पाकिस्तान के 2003 वर्ल्डकप में खराब प्रदर्शन को लेकर भी चर्चा की। जिया ने कहा, "विश्व कप के बाद खिलाडिय़ों ने जिस तरह का प्रदर्शन किया उससे मैं बहुत निराश था क्योंकि यह विश्व कप के लिए सबसे अच्छा संभव पक्ष था जिसे हम उठा सकते थे। मैं टूर्नामेंट से पहले ही टीम के भीतर मतभेदों के बारे में सुन रहा था और मुझे संदेह था कि यही उसी का परिणाम है। वकार ने उस विश्व कप में पाकिस्तान की कप्तानी की और पूरे टूर्नामेंट के दौरान उनके बारे में कुछ खिलाडिय़ों से समर्थन नहीं मिलने की खबरें आईं।
Cricket News inextlive from Cricket News Desk