19वीं शताब्दी का जहाज

सिडनी, (एएफपी)। दरअसल, मार्च 2014 में कुआलालंपुर से बीजिंग जा रहा मलेशियाई एयरलाइंस का एक विमान 239 लोगों के साथ गायब हो गया, जिसमें ज्यादातर चीन के लोग सवार थे। इस विमान का पता लगाने के लिए विमानन इतिहास का सबसे बड़ा खोज मिशन शुरू किया गया था, जिसमें कई देश शामिल थे। लेकिन विमान का कोई पता नहीं चला। पिछले साल जनवरी में खोज बंद कर दी गई। इसी अभियान के दौरान ऑस्ट्रेलियाई खोजी दल को 3900 मीटर गहराई में दो जगह कुछ टुकड़े और मलबा मिला था।

लकड़ी और लोहे का जहाज

म्यूजियम से जुड़े रॉस एंडरसन ने बताया कि ये दोनों जहाज ब्रिटेन के हो सकते हैं। उनके मुताबिक लकड़ी का जहाज या तो डब्ल्यू गोर्डन हो सकता है, जो 1876 में स्कॉटलैंड के ग्लास्गो से एडिलेड जा रहा था या फिर मेगडला हो सकता है, जो पर्थ से इंडोनेशिया के टर्नेट जा रहा था। लोहे का जहाज बार्केस कोरिग (1894), लेक ओंटारियो (1897) और वेस्ट रिज (1883) में से कोई एक हो सकता है।

फिर से विमान खोजने का काम शुरू

बता दें कि लापता मलेशियाई विमान की खोज इस साल जनवरी में एक बार फिर शुरू कर दी गई है। ख़बरों के मुताबिक इस साल विमान को खोजने का काम एक प्राइवेट कंपनी को दिया गया है। मलेशिया ने उसे "नो फाइंड, नो फी" के आधार पर काम दिया है। इसका मतलब है कि अगर कंपनी जहाज को खोजने में असफल होती है तो उसे कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।

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