योगी सरकार ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि का रास्ता साफ कर दिया। अब यूपी के शिक्षामित्रों को 10 हजार रुपए मासिक मानदेय दिया जायेगा। पहले यह मानदेय 3500 रुपये था। जिसे 1 अगस्त 2017 से बढाकर 10 हजार रुपए कर दिया गया है। इस वृद्धि का लाभ प्रदेश के सभी 1,65,157 शिक्षा मित्रों को मिलेगा।
कैबिनेट बैठक में योगी सरकार ने लिया फैसला
योगी सरकार ने प्रदेश के 1 लाख 65 हजार 157 शिक्षामित्रों को अब तक मिल रहे 3,500 रुपये के मानदेय को बढाकर 10 हजार रुपये करने का फैसला किया है। सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में इस पर मंगलवार को मुहर लगा दी गई है। इनमें 1.37 लाख वह शिक्षामित्र भी शामिल हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षक पद से हटा दिया गया था। इसके अलावा सड़क निर्माण में तेजी लाने के लिये सरकार ने यूपीडा व एनएचएआई को तीन-तीन जिलों में मुक्त खनन की अनुमति प्रदान की है। साथ ही प्रदेश में 10 हजार सोलर पंप लगवाने का भी निर्णय लिया गया है।
अखिलेश सरकार ने दी थी टीईटी में छूट
लोकभवन में कैबिनेट बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि उप्र बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। इस फैसले के बाद शिक्षक पद पर समायोजित किए गए 1.37 लाख शिक्षामित्र पहली अगस्त, 2017 से मूल पद पर वापस हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की शिक्षामित्रों के साथ पूरी सहानुभूति है इन शिक्षामित्रों को 11 माह मानदेय मिलेगा। गौरतलब है कि अखिलेश सरकार ने वर्ष 2014 में स्नातक उत्तीर्ण और डिस्टेंस एजुकेशन सिस्टम से दो वर्षीय बीटीसी ट्रेनिंग पूरा करने वाले शिक्षामित्रों को अध्यापक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी से छूट देते हुए प्राथमिक शिक्षकों के पदों पर समायोजित करने का फैसला किया था।
नियमावली में किया गया संशोधन
प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में तैनात 1.37 लाख शिक्षामित्रों का समायोजन हो चुका था जब हाईकोर्ट ने सरकार के इस फैसले को गलत ठहराते हुए समायोजन को रद कर दिया था। बीती 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए उनके समायोजन को रद करने का निर्णय सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में अब राज्य सरकार ने समायोजित किये गए शिक्षामित्रों को उनके मूल पद पर वापस करने के लिए नियमावली में संशोधन किया गया है।
योगी सरकार ने प्रदेश के 1 लाख 65 हजार 157 शिक्षामित्रों को अब तक मिल रहे 3,500 रुपये के मानदेय को बढाकर 10 हजार रुपये करने का फैसला किया है। सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में इस पर मंगलवार को मुहर लगा दी गई है। इनमें 1.37 लाख वह शिक्षामित्र भी शामिल हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षक पद से हटा दिया गया था। इसके अलावा सड़क निर्माण में तेजी लाने के लिये सरकार ने यूपीडा व एनएचएआई को तीन-तीन जिलों में मुक्त खनन की अनुमति प्रदान की है। साथ ही प्रदेश में 10 हजार सोलर पंप लगवाने का भी निर्णय लिया गया है।
अखिलेश सरकार ने दी थी टीईटी में छूट
लोकभवन में कैबिनेट बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि उप्र बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। इस फैसले के बाद शिक्षक पद पर समायोजित किए गए 1.37 लाख शिक्षामित्र पहली अगस्त, 2017 से मूल पद पर वापस हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की शिक्षामित्रों के साथ पूरी सहानुभूति है इन शिक्षामित्रों को 11 माह मानदेय मिलेगा। गौरतलब है कि अखिलेश सरकार ने वर्ष 2014 में स्नातक उत्तीर्ण और डिस्टेंस एजुकेशन सिस्टम से दो वर्षीय बीटीसी ट्रेनिंग पूरा करने वाले शिक्षामित्रों को अध्यापक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी से छूट देते हुए प्राथमिक शिक्षकों के पदों पर समायोजित करने का फैसला किया था।
नियमावली में किया गया संशोधन
प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में तैनात 1.37 लाख शिक्षामित्रों का समायोजन हो चुका था जब हाईकोर्ट ने सरकार के इस फैसले को गलत ठहराते हुए समायोजन को रद कर दिया था। बीती 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए उनके समायोजन को रद करने का निर्णय सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में अब राज्य सरकार ने समायोजित किये गए शिक्षामित्रों को उनके मूल पद पर वापस करने के लिए नियमावली में संशोधन किया गया है।
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