दिलचस्प पलों का खुलासा
चैंपियंस ट्रॉफी में लगातार तीन हाफसेंचुरी जमाकर टॉप स्कोरर बने इंडियन ओपनर शिखर धवन नाकामियों से घबराते नहीं, बल्कि उनका सामना करने में यकीन रखते हैं और इसमें उनकी मदद करता है सूफी संगीत। शानदार फॉर्म में चल रहे धवन ने कॉमेडियन विक्रम साठ्ये के चैट शो 'वाट द डक' पर अपने करियर के दिलचस्प पलों को साझा किया है। उन्होंने यह भी बताया कि नाकामियों से पार पाने के लिये वह कैसे अध्यात्म और आत्मविश्वास का सहारा लेते हैं। यही नहीं उन्होंने खुलासा किया कि पंजाबी सिंगर गुरदास मान के एक सूफी गाने ने उन्हें जिंदगी में आगे बढऩे की प्रेरणा दी।
संगीत से मिलती है प्रेरणा
सूफी संगीत के शौकीन धवन ने कहा, 'मैं 21 बरस की उम्र से सूफी संगीत सुन रहा हूं। मुझे गजलों का बहुत शौक है, चाहे वह जगजीत सिंह की हो या गुलाम अली की। गुरदास मान का गीत 'मांवां ठंडियां छांवां' काफी प्रेरणादायक है। इसकी जो लाइन जो मुझे सबसे ज्यादा पसंद है, उसका मतलब है कि मां का प्यार ठंडी छांव की तरह होता है, आप कितनी भी कोशिश करें आप इसका भार कभी नहीं उतार सकते हैं। इस तरह के गानों से मैं खुद को जोड़ पाता हूं और इससे मुझे शांति मिलती है।'
इसलिए ऊपर उठ जाते हैं हाथ
धवन अक्सर ही सेंचुरी बनाने के बाद अपने दोनों हाथ फैला कर बड़े ही अनोखे अंदाज में जश्न मनाते हैं। आखिकार उन्होंने इसका राज खोल दिया। धवन ने इस बारे में कहा, 'मेरी सेलिब्रेशन स्टाइल स्वाभाविक है। जब मैने अपनी पहली सेंचुरी जड़ी थी, तब अपने आप मेरे हाथ ऊपर उठ गए थे। मैं बहुत खुश था, मैं ऊपर भगवान की तरफ देख रहा था। तब से यही मेरा स्टाइल बन गया। ये स्वाभाविक ही है, मैं इसका कोई अभ्यास नहीं करता हूं।'
टेस्ट डेब्यू में थे नर्वस
धवन ने बताया कि आस्टेलिया के खिलाफ जब वह पहली पारी खेलने उतरे थे तो कितने नर्वस थे। धवन ने 2013 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में अपना टेस्ट डेब्यू किया था। उस दौरान वो ड्रेसिंग रूम में चहलकदमी कर रहे थे। इसके बाद कुछ देर के लिए वो नदारद भी हो गए थे। हालांकि उसके बाद उन्होंने आस्ट्रेलिया के तगड़े पेस अटैक का दिलेरी से सामना किया और डबल सेंचुरी भी जमाई। उसके बाद ही उन्हें गब्बर के नाम से जाना जाने लगा।
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