माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी षट्तिला एकादशी के नाम से जानी जाती है, जो इस वर्ष गुरुवार 31 जनवरी को पड़ रही है। इस दिन 6 प्रकार से तिलों का व्यवहार किया जाता है। इस दिन तिलों के जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल से हवन, तिल से मिले जल का पान, तिल का भोजन तथा तिल का दान करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है-

तिलस्त्रायी तिलोद्वर्ती तिलहोमी तिलोदकी।

तिलभुक् तिलदाता च षट्तिलाः पापनाशनाः।।

इस दिन काले तिल तथा काली गाय के दान का भी बड़ा माहात्म्य है।  

व्रत-विधान

षट्तिला एकादशी 2019: तिल का 6 तरह से प्रयोग करने पर मनोकामनाएं होंगी पूर्ण,जानें व्रत विधि और कथा

इस दिन प्रातः स्नान करके 'श्रीकृष्ण' नाम मंत्र का जप करें, दिनभर उपवास रखें और रात्रि में जागरण तथा तिल से हवन करें। भगवान का पूजन कर निम्नलिखित मन्त्र से अर्घ्य दें-

सुब्रह्मण्य नमस्तेस्तु महापुरुष पूर्वज।

गृहाणार्घ्यं मया दत्तं लक्ष्म्या सह जगत्पते।।

नैवेद्य में तिलयुक्त फलाहारी समान रखना चाहिए तथा ब्राह्मणों को भी तिलयुक्त फलाहार खिलाना चाहिए। यह व्रत सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला होता है।

व्रत की कथा

षट्तिला एकादशी 2019: तिल का 6 तरह से प्रयोग करने पर मनोकामनाएं होंगी पूर्ण,जानें व्रत विधि और कथा

प्राचीन काल में भगवान की परम भक्त एक ब्राह्मणी थी; वह भगवत्सम्बन्धी उपवास-व्रत रखती, भगवान की विधिवत पूजा करती और नित्य निरंतर भगवान का स्मरण किया करती थी। कठिन व्रत करने और पति सेवा एवं घर की संभाल रखने आदि से उसका शरीर सूख गया था, किंतु अपने जीवन में उसने दान के निमित्त किसी को एक दाना भी नहीं दिया था।

एक दिन स्वयं भगवान ने कपाली का रूप धारण कर उससे भिक्षा की याचना की, परंतु उसने उन्हें भी कुछ नहीं दिया। अन्त में कपाली के ज्यादा बड़बड़ाने से उसने मिट्टी का एक बहुत बड़ा ढेला दिया तो भगवान उसी से प्रसन्न हो गए और ब्राह्मणी को वैकुण्ठ का वास हो दिया। परन्तु वहां मिट्टी के परम मनोहर मकानों के सिवा और कुछ भी नहीं था। तब उसने भगवान की आज्ञा से षट्तिला का व्रत किया और उसके प्रभाव से उसको सब कुछ प्राप्त हुआ।

— ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र

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