पूर्व मंत्री थरूर ने ट्वीट करके कहा कि वह “ऐसी असहिष्णुता देखकर ताज्जुब” में हैं।
थरूर ने भारतीय दंड संहिता की धारा-377 में संशोधन का प्रस्ताव रखा था जिसमें बालिग़ों के बीच सहमति के बाद समलैंगिक संबंधों की इजाज़त दी जा सकती है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में आदेश पारित किया था कि केवल संसद ही धारा 377 में संशोधन कर सकती है।
शुक्रवार को थरूर का विधेयक लोकसभा में 24 के मुक़ाबले 71 वोटों से गिर गया।
इसके बाद उन्होंने अपने एक ट्वीट में इस विधेयक को भविष्य में फिर पेश करने की बात कही है।
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