हालांकि दोनों ने आपसी संबंधों को मज़बूत करने पर सहमति जताई है और विदेश सचिव स्तर की वार्ता जल्द होने की उम्मीद है.
इस बातचीत के बारे में जानकारी देते हुए भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, "हमारे प्रधानमंत्री ने साफ़ शब्दों में कहा है कि बम धमाकों की आवाज़ में बातचीत की आवाज़ दब जाती है. तो ये धमाके बंद होने चाहिए, तभी हम एकदूसरे को सुन पाएंगे."
सुषमा ने कहा है कि भारत सरकार पाकिस्तान सहित अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ आपसी संबंध को बेहतर बनाने को इच्छुक है.
बेहतर संबंध बनाने की कोशिश
दूसरी ओर, मोदी और शरीफ़ की वार्ता के बारे में शरीफ़ के सहयोगी सरताज अज़ीज़ ने इस्लामाबाद में प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी दी.
अज़ीज़ ने कहा, "दोनों देशों के प्रधानमंत्री सभी द्वपक्षीय मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार हुए हैं. इसमें आतंकवाद और कश्मीर का मुद्दा शामिल है. इसके अलावा हमने लाहौर घोषणा पत्र के मुताबिक़ बातचीत को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव भी रखा है."
अज़ीज़ के मुताबिक़ भारतीय प्रधानमंत्री ने सभी विवादों के हल को बातचीत के जरिए सुलझाने में दिलचस्पी दिखाई है.
भारत की ओर से 26 नवंबर को मुंबई पर हुए हमले के आरोपियों के बारे में पूछताछ के बारे में जानकारी देते हुए अज़ीज़ ने कहा कि उसमें कोई नयी बात नहीं है. वह पहले की भारत सरकार भी करती रही थी और हमने भारतीय प्रधानमंत्री को बताया कि हमारे यहां उन लोगों पर क़ानूनी प्रक्रिया चल रही है और उसके मुताबिक़ ही कार्रवाई होगी.
तरक्क़ी का रास्ता
हालांकि अज़ीज़ ने ये भी कहा है कि मोदी और शरीफ़ की मुलाक़ात उम्मीद से काफी बेहतर रही है. उन्होंने ये भी उम्मीद जताई है कि लाहौर समझौता वाजपेयी सरकार के समय शुरू हुआ था तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार इसे लागू करने में दिलचस्पी दिखाएगी.
उन्होंने साथ ही कहा कि यह दौरा कश्मीर के हुर्रियत नेताओं से मिलने का सही वक़्त नहीं था.
पाकिस्तान ने उम्मीद जताई है कि सितंबर तक दोनों देशों के बीच आपसी बातचीत का दौर शुरू हो जाएगा.
अज़ीज़ ने कहा, "मनमोहन सरकार के पास बहुमत नहीं था, तो वो हमेशा कहते थे कि वो फ़ैसला नहीं ले सकते. लेकिन नरेंद्र मोदी के पास बहुमत है तो उन्हें फ़ैसले लेने में आसानी होगी. क्योंकि हम भी मानते हैं कि शांति होगी तभी हमारी तरक्क़ी होगी."
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