शरद पूर्णिमा पर रविवार को 16 कलाओं से पूर्ण चंद्रमा अमृत बरसाएगा। इस बार बन रहे विशेष संयोग से मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी। धन का संकट पूरे साल नहीं होगा। चंद्रमा के सामने खीर रखी जाएगी और पूजा-अर्चना होगी। अश्विन माह की पूर्णिमा को शरद ऋतु की शुरुआत होती है।
63 साल बाद बन रहा ये संयोग
ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा शक्तिमान होता है। इसकी किरणों में रोगों को दूर करने की क्षमता होती है। 63 साल बाद अश्विन माह रविवार का संयोग होने से लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करेंगी और पूजा-अर्चना करने वालों के घर धन संकट दूर करेंगी। इस दिन से दिवाली की शुरुआत होती है। महिलाएं जागरण करती हैं। छतों पर खीर बनाकर रखती हैं।
इसी दिन रावण हुआ था शक्तिमान, कृष्ण ने रचाया था महारास
शरीर को निरोगी बनाने के लिए ये खीर अत्यंत फलदायी है। मालूम हो रावण की नाभि में भी शरद पूर्णिमा के चंद्रमा की किरणें प्रवेश हुई थीं। इस दिन रावण अपनी नाभि में चंद्रमा की किरणों को लेकर शक्तिमान हुआ था। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस दिन चंद्रमा में अद्भुत शक्तियां होती हैं। इसे कालाजारी पूर्णिमा भी कहते हैं। मां लक्ष्मी की पूजा होती है। श्रीकृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया था।
-पंडित दीपक पांडेय
Sharad Purnima 2019: शरद पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त