चिल्ड्रन्स कमिश्नर फ़ॉर इंग्लैंड (इंग्लैंड का बाल आयुक्त) के कार्यालय द्वारा जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक अपराधी 12 या 13 साल के बच्चे भी हो सकते हैं और कुछ इलाकों में, ख़ासकर गिरोहों में, बलात्कार को ''सामान्य और न टल सकने वाले हालात'' के तौर पर देखा जाता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि डराना-धमकाना और सेक्सिस्ट रवैया पूरे देश में मौजूद है.
विभिन्न काउंसिलों के अध्यक्षों का कहना था कि बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी संस्थाओं के काम में सुधार की ज़रूरत है.
ये रिपोर्ट बच्चों के शोषण और गिरोहों पर चिल्ड्रन्स कमिश्नर कार्यालय की दो साल की जांच का नतीजा है. इसमें कहा गया है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए क़ानून तो है लेकिन पुलिस और समाज सेवी संस्थाओं को इन ख़तरों से ज़्यादा प्रभावित होने वाले बच्चों की पहचान करने और उन्हें ज़रूरी सुरक्षा मुहैया करवाने के काम में और बेहतर होने की ज़रूरत है.
'डरावनी सच्चाई'
इस रिपोर्ट को युवाओं की यौन संबंध के लिए मंज़ूरी की समझ पर शोध और गिरोहों से प्रभावित इलाकों में पले-बढ़े युवाओं पर दबावों के अध्ययन के साथ ही छापा जा रहा है.
बाल आयोग की उप कमिश्नर स्यु बेरलोविट्ज़ ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा है कि रिपोर्ट में युवाओं द्वारा यौन हिंसा की ''डरावनी सच्चाई'' सामने आई है.
"कुछ व्यस्कों द्वारा बच्चों के बलात्कार और शोषण की बात तो सामान्य तौर पर मानी जाती है. लेकिन हमें युवाओं द्वारा दूसरे युवा लोगों और बच्चों के ख़िलाफ़ बलात्कार समेत यौन हिंसा के चौंकाने वाले और तकलीफ़देह सबूत मिले हैं."
-स्यु बेरलोविट्ज़, उप कमिश्नर, बाल आयोग, इंग्लैंड
स्यु बेरलोविट्ज़ ने कहा, "कुछ व्यस्कों (ज़्यादातर पुरुषों) द्वारा बच्चों के बलात्कार और शोषण की बात तो सामान्य तौर पर मानी जाती है. लेकिन हमें युवाओं द्वारा दूसरे युवा लोगों और बच्चों के ख़िलाफ़ बलात्कार समेत यौन हिंसा के चौंकाने वाले और तकलीफ़देह सबूत मिले हैं."
उन्होंने आगे कहा, "हालांकि इस तरह की हिंसा के हमारे सबूत गिरोहों के संदर्भ में हैं लेकिन हमें पता है कि ये समस्या इससे कहीं ज़्यादा व्यापक है. समाज के अंदर ये एक बीमारी है जिससे हमें मुंह नहीं छुपाना चाहिए."
स्यु बेरलोविट्ज़ के मुताबिक इस तरह के नज़रिया पैदा करने में संगीत और पोर्नोग्राफ़ी उद्योग का बड़ा हाथ है जिनमें गिरोहों का युवा लड़कियों का सामान और यौन संबंधों के लिए या फिर विरोधी गिरोह को लुभाने के लिए इस्तेमाल करना शामिल है.
इस जांच में 2,409 युवाओं को गिरोहों और गुटों के हाथों बाल यौन शोषण का शिकार पाया गया जबकि 16,500 और युवाओं के इस तरह के ख़तरों का शिकार बनने की संभावना पाई गई.
रिपोर्ट में ये भी चेतावनी दी गई है कि ये समस्या सिर्फ़ निम्न आय, अंदरूनी इलाकों में ही नहीं बल्कि इंग्लैंड के ''हर इलाके में व्याप्त है जिनमें ग्रामीण, शहरी, वंचित और बेहतर'' सभी इलाके शामिल हैं.
यौन हिंसा
इन गिरोहों में यौन हिंसा पर बेडफ़ोर्डशायर विश्वविद्यालय के एक शोध के मुताबिक शोध में शामिल दो-तिहाई या 65 फीसदी युवा ऐसी लड़कियों को जानते थे जिन पर यौन क्रियाओं में हिस्सा लेने के लिए दबाव डाला गया या ज़बरदस्ती की गई.
शोध में शामिल 50 फीसदी लोगों ने ऐसे युवाओं का उदाहरण दिया जिन्होंने ओहदे या सुरक्षा के बदले यौन संबंधों की पेशकश की जबकि 41 फीसदी ने कहा कि उन्हें बलात्कार के मामलों के बारे में पता था और 34 फीसदी ने सामूहिक बलात्कार के उदाहरण दिए.
वहीं लंदन मेट्रोपॉलिटन विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के मुताबिक युवा लोगों में मंज़ूरी या स्वीकृति की बहुत सीमित समझ होती है और आपसी जान-पहचान वाले लोगों में बिना मंज़ूरी सेक्स को अक्सर बलात्कार के तौर पर नहीं देखा जाता.
अध्ययन में ये भी कहा गया कि यौन हिंसा को ''सामान्य और न टाली जा सकने वाली घटना'' की तरह देखा जाता है और माना जाता है कि युवा लड़कियां ''अपने शोषण के लिए ख़ुद ही ज़िम्मेदार'' होती हैं.
युवा लोगों की सोच होती है कि ''लड़कियों को लड़कों से मिलने नहीं जाना चाहिए था, तंग कपड़े नहीं पहनने चाहिए थे, (शराब) नहीं पीनी चाहिए थी और उनके पहले भी यौन संबंध रहे हैं इसलिए उन्हें ना कहने का हक़ नहीं है.''
बच्चों की संस्था फॉर चिल्ड्रन की मुख्य कार्यकारी एन लॉन्गफ़ील्ड ने रिपोर्ट को चौंकाने वाली और तकलीफ़देह क़रार दिया जबकि एक और संस्था, द चिल्ड्रन्स सोसाइटी ने युवा लड़के-लड़कियों के नज़रिए बदलने और जागरुकता फैलाने के लिए और योजनाओं की वक़ालत की है.
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