भारत का वो नेता,जिसके जीवित रहते ही पीएम ने कर दी थी निधन की घोषणा
1. 11 अक्टूबर 1902 को जन्में जेपी नारायण को 'लोक नायक' के रूप में भी जाना जाता था। समाज सुधारक के तौर पर उनकी पहचान घर-घर में थी। उनकी छवि किसी हीरो से कम नहीं थी।

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2. 1999 में जेपी को मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मनित किया गया। इसके अतिरिक्त उन्हें समाजसेवा के लिये 1965 में मैगससे पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। पटना के हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है। दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल 'लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल' भी उनके नाम पर है।

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3. साल 1922 में जेपी उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गए। जहां मंहगी पढ़ाई के खर्चों को वहन करने के लिए उन्होंने खेतों, कंपनियों व रेस्टोरेंट में भी काम किया।

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4. 1929 में जब वे अमेरिका से लौटे, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तेज़ी पर था। उनका संपर्क गांधी जी के साथ काम कर रहे जवाहर लाल नेहरु से हुआ। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने। 1932 मे गांधी, नेहरु और अन्य महत्वपूर्ण कांग्रेसी नेताओ के जेल जाने के बाद, उन्होने भारत मे अलग-अलग हिस्सों मे संग्राम का नेतृत्व किया।

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5. जे.पी. एक जमाने में कांग्रेस के सहयोगी थे लेकिन आजादी के लगभग दो दशक बाद आई इंदिरा गांधी सरकार के भ्रष्ट व अलोकतांत्रिक तरीकों ने उन्हें कांग्रेस और इंदिरा के विरोध में खड़ा कर दिया। इसी बीच सन 1975 में अदालत में इंदिरा गांधी पर चुनावों में भ्रष्टाचार का आरोप साबित हो गया और जयप्रकाश ने विपक्ष को एकजुट कर उनके इस्तीफे की मांग की।

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6. इसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल लागू कर दिया और जे.पी. समेत हजारों विपक्षी नेताओं को गिरफ़्तार कर लिया। जनवरी 1977 को इंदिरा गाँधी सरकार ने आपातकाल हटाने का फैसला किया। मार्च 1977 में चुनाव हुए और लोकनायक के “संपूर्ण क्रांति आदोलन” के चलते भारत में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी।

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7. 8 अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी के चलते जे.पी. का निधन हो गया था। हालांकि वह जब हॉस्पिटल में एडमिट थे तभी तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने जेपी के निधन की घोषणा कर दी थी। जबकि उनकी मृत्यु बाद में हुई थी।

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