दोनेत्स्क और लुहांस्क के अलगाववादी नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ चर्चा के बाद गुरुवार को यह घोषणा की.
यूक्रेन की सेना ने अलगाववादियों को खदेड़ने के लिए व्यापक अभियान चलाया था लेकिन पूर्वी और दक्षिणी इलाक़ों की कई सरकारी इमारतों पर अब भी अलगाववादियों का क़ब्ज़ा है.
इससे पहले बुधवार को राष्ट्रपति पुतिन ने जनमत संग्रह टालने की आग्रह किया था ताकि यूक्रेन सरकार के साथ बातचीत के लिए माहौल बनाया जा सके.
दूसरी ओर यूक्रेन की सरकार का कहना है कि वह जनमत संग्रह के नतीजों को नकार देगी और अलगाववादियों के ख़िलाफ़ सैन्य अभियान जारी रहेगा.
सर्वसम्मति का फ़ैसला
अलगाववादियों ने जनमत संग्रह के लिए लाखों मतपत्र छपवाए हैं. मतदाताओं से सवाल पूछा गया है, "क्या आप दोनेत्स्क पीपल्स रिपब्लिक की आज़ादी का समर्थन करते हैं."
दोनेत्स्क के नेता डेनिस पुशलिन ने बताया कि फ़ैसला सर्वसम्मति से लिया गया. उन्होंने कहा, "हम वही कर रहे हैं जो लोग चाहते हैं."
रूस के एक प्रवक्ता ने कहा कि अभी उनके पास बहुत कम जानकारी है और स्थिति की समीक्षा की जाने की ज़रूरत है.
मॉस्को में मौजूद बीबीसी संवाददाता स्टीव रोसेनबर्ग कहते हैं कि अलगाववादियों के इस फ़ैसले को पुतिन अपने समर्थन में ये तर्क देते हुए इस्तेमाल कर सकते हैं कि पूर्वी यूक्रेन की घटनाओं में उनकी कोई भूमिका नहीं है.
तनाव
पश्चिमी देश आरोप लगाते रहे हैं कि पूर्वी यूक्रेन में जारी तनाव के पीछे रूस है.
रूस यूक्रेन की नई सरकार को अलोकतांत्रिक क़रार देता रहा है और रूसी भाषी लोगों के अधिकारों की रक्षा के प्रति दृढ़ता ज़ाहिर करता रहा है.
दूसरी ओर यूक्रेन की सरकार ने अलगाववादियों की अधिक स्वायत्ता की मांग को ठुकरा दिया है.
यूरोपीय संघ ने जनमत संग्रह कराए जाने के फ़ैसले पर चेतावनी देते हुए कहा, "ऐसे जनमत संग्रह की कोई लोकतांत्रिक स्वीकार्यता नहीं होगी और इससे स्थितियां और ख़राब ही होंगी."
इसी बीच आए अमरीकी शोध संस्था प्यू रिसर्च सेंटर के एक नए सर्वे के मुताबिक़ यूक्रेन में अधिकतर लोग अपने देश को अखंड देखना चाहते हैं.
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