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दो भाइयों की अजीब कहानी! एक हिंदुस्‍तानी दूसरा पाकिस्‍तानी,50 साल बाद मिले,जानें कैसे

सोशल मीडिया पर एक्टिव बच्चों ने मिलाया

इन दोनो भाइयों को मिलाने में सोशल मीडिया फेसबुक ने एक फरिश्ते का काम किया। हमजा सरकार और मम्मीकुट्टी नाम के इन दोनों भाइयों के नाती-पोते एक दूसरे से फेसबुक पर कनेक्ट हो गए थे। जब इन दोनों ने एक दूसरे से बातचीत की तो उनको पता चला है कि ये तो एक ही परीवार से है। ये बात उन्होनें अपने दादाजी को बताई जिसको सुनकर वो हैरान हो गए और खुशी के मारे इमोशनल भी हो गए। इसके बाद इन दोनों परिवारों ने एक-दूसरे से मिलने का टाइम और जगह डिसाइड की और अबू धाबी में जाकर एक-दूसरे से मिले।;

दो भाइयों की अजीब कहानी! एक हिंदुस्‍तानी दूसरा पाकिस्‍तानी,50 साल बाद मिले,जानें कैसे

50 साल बाद दो भाईयों की तीसरे मुल्क में मुलाकात

ये दोनों भाई एक दूसरे से पूरे 50 साल बाद मिले। एक दूसरे को इतने सालों बाद देखकर वो बेहद खुश थे। उनको इस बात का यकीन ही नहीं हो रहा था। बता दें की इस वक्त सरकार की उम्र 76 साल है और मम्मीकुट्टी की उम्र 75 साल।

11 साल की उम्र में बिछड़ गया परिवार से

हमजा सरकार नाम का ये व्यक्ति जो अब एक पाकिस्तानी नागरिक है, 1951 में केरल में अपने परीवार से बिछड़ गया था। उस वक्त इनकी उम्र 11 साल थी। जानकारी के मुताबिक सरकार को घूमने का खासा शौक था। एक बार उसकी मां ने उसको घर के बाहर बेड़ चराने भेजा था और उसके बाद वो फिर कभी घर लौट कर ही नहीं आया।;

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जान हथेली पर रखकर क्रॉस किया बॉर्डर

11 साल की उम्र में घर से निकल कर हमजा कोलकाता पहुंच गए थे। इसके बाद वो बांग्लादेश चले गए जहां पर थोड़े दिन घूमने के बाद वो पाकिस्तान के लिए निकल गए थे। पाकिस्तान पहुंचने के कुछ दिन बाद उनको अपने घर की याद सताने लगी तो 1968 में जान हथेली पर रखकर राजस्थान से बॉडर पार कर के वो हैदराबाद पहुंचे और वहां से उन्होंने अपनी मां को खत लिखा।

फिर बिछड़ा तो 50 साल बाद मिला

खत मिलते ही मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होनें हमजा को केरल वापस आने के लिए कुछ पैसें भेजे। पैसे मिलते ही हमजा ने केरल की टिकट खरीदी और अपने घर वापस आ गया। अपने परिवार से मिलकर वो बेहद खुश था। उसके परिवार वालों ने केरल में ही घर के पास उसकी एक सब्जी की दुकान खुलवा दी थी ताकि वो अब उनके पास ही रहे, लेकिन 9 महीने तक ही वो वहां रूका और फिर कई चला गया। इसके बाद से उसके परिवार वालों को उसकी कोई सूचना नहीं मिली। इसके बाद पूरे 50 साल बाद अपने नाति-पोतें और सोशल मीडिया की मदद से वो एक दूसरे से दोबारा मिले।

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