विदेशी मामलों की सीनेट की समिति ने सात के मुक़ाबले 10 मतों से इसे स्वीकृति दी. लेकिन अब ये प्रस्ताव सीनेट में मंज़ूरी के लिए जाएगा.
नेट की विदेश मामलों की समिति में यह मंज़ूरी ऐसे समय आई है, जब अमरीका के राष्ट्रपति क्लिक करें बराक ओबामा सीरिया में सैनिक कार्रवाई को लेकर समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं.
इस प्रस्ताव में सीरिया में सीमित सैनिक कार्रवाई की बात है और ये भी कहा गया है कि अमरीका अपनी सेना को सीरिया की ज़मीन पर नहीं उतारेगा.
मतदान
ओबामा का कहना है कि उन्हें भरोसा है कि कांग्रेस से प्रस्ताव पास होगा
माना जा रहा है कि सीनेट में अगले सप्ताह इस पर मतदान हो सकता है और सीनेट की इस समिति में हुए मतदान के बावजूद ये तय नहीं है कि सीनेट की पूर्ण बैठक में इसका भविष्य क्या होगा.
एबीसी न्यूज़ के मुताबिक़ अभी तक सिर्फ़ 21 सीनेटरों ने कहा है कि वे इस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे या कर सकते हैं. 13 सीनेटरों का कहना है कि वे इसका विरोध करेंगे या कर सकते हैं, जबकि 66 सीनेटरों ने अभी तक कोई फ़ैसला नहीं किया है.
लेकिन माना ये जा रहा है कि ये संख्या बदल सकती है, क्योंकि अभी प्रस्ताव की भाषा बदलेगी, व्हाइट हाउस और कांग्रेस के सहयोगियों का दबाव भी काम करेगा और ये सांसदों अपने क्षेत्र के लोगों की भी बात सुनेंगे.
इससे पहले फ़्रांस की नेशनल असेंबली ने भी सीरिया में सैनिक कार्रवाई को लेकर चर्चा की. हालाँकि इस पर कोई मतदान नहीं होगा. क्योंकि वहाँ के राष्ट्रपति संसद के वोट के बिना भी इस कार्रवाई का समर्थन कर सकते हैं. फ़्रांस की सरकार सीरिया में दखल का पुरज़ोर समर्थन करती है.
आरोप
आरोप है कि दमिश्क के बाहरी इलाक़े में रासायनिक हमले हुए
सीरिया की बशर अल असद सरकार पर आरोप है कि 21 अगस्त को उसने दमिश्क के बाहरी इलाक़े में अपने ही नागरिकों पर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया.
अमरीका का दावा है कि इस हमले में 1429 लोग मारे गए, हालाँकि अन्य देश और संगठन इस संख्या को कम मानते हैं. अमरीका का ये भी कहना है कि सभी सबूत इस ओर इशारा करते हैं कि सरकारी सेना ने ही रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया.
इस बीच स्वीडन में एक संवाददाता सम्मेलन में अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि जो सबूत मिले हैं, वे इसका पूरा भरोसा दिलाते हैं कि राष्ट्रपति असद ने ही ये हमले करवाए.
उन्होंने भरोसा जताया कि अमरीकी कांग्रेस सीरिया में हस्तक्षेप को मंज़ूरी देता, लेकिन उन्होंने इस पर भी ज़ोर दिया कि कमांडर इन चीफ़ होने के नाते देशहित में कार्रवाई का फ़ैसला करने का अधिकार उनके पास है.
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