कानपुर। गूगल सर्च पर कभी-कभी हम कुछ ऐसी चीजें भी सर्च कर लेते हैं, जिसकी वजह से हमें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में, जिन्हें ऑनलाइन सर्च करना महंगा पड़ सकता है।
कंपनियों के फेक कस्टमर केयर नंबर द्वारा धोखाधड़ी
पिछले एक दो दशक से कस्टमर केयर काफी लोकप्रिय हो चला है। हम कोई भी प्रोडक्ट इस्तेमाल कर रहे होते हैं और उसमें किसी भी तरह की दिक्कत या परेशानी आने पर हम सीधे कंपनी के कस्टमर केयर को कॉल करने की सोचते हैं। हमें कई बार किसी कंपनी का कस्टमर केयर नंबर पता नहीं होता है, ऐसे में हम गूगल सर्च का ही सहारा लेते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि गूगल पर यूं ही किसी भी कस्टमर केयर का नंबर सर्च करना नुकसानदायक साबित हो सकता है। आपको बता दें कि साइबर क्राइम करने वाले हैकर्स किसी भी पॉपुलर कंपनी का फेक या फर्जी हेल्पलाइन नंबर गूगल सर्च में पुश कर देते हैं। ऐसे में जब आप उस नंबर पर कॉल करेंगे तो आपका नंबर और संबंधित प्रॉब्लम की डीटेल हैकर्स के पास पहुंच जाती है। उसके बाद हैकर्स उसी प्रॉब्लम के समाधान के नाम पर आपके नंबर पर कॉल करके साइबर क्राइम को अंजाम दे सकते हैं। इसमें सिम स्वैपिंग जैसी घटनाएं शामिल हैं।
ऑनलाइन बैंकिंग सर्विस के नाम पर डिजिटल फ्रॉड
आजकल डिजिटल या कहें कि ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का यूज काफी बढ़ गया है। ऐसे में अगर किसी भी तरह की बैंकिंग सर्विस का इस्तेमाल करना होता है तो वह काम हम ऑनलाइन ही करते हैं। ऐसे में कई बार ऐसा भी होता है कि बैंक की ऑफिशियल वेबसाइट गूगल में सर्च करने पर गलत यूआरएल वाली लेकिन असली जैसी दिखने वाली फेक वेबसाइट खुल जाती है। बता दें ये फेक वेबसाइट पब्लिक को धोखा देने के लिए असली साइट के क्लोन के रूप में बनाई जाती है, ताकि ग्राहक उसके झांसे में आ जाएं और और अपना पैसा गंवा बैठें। तो ध्यान देने वाली तो यह है कि आपको जब भी ऑनलाइन बैंकिंग सर्विस का इस्तेमाल करना हो, तो बैंक की ऑफिशियल वेबसाइट का यूआरएल एड्रेस बार में डायरेक्ट लिखकर एंटर करें, फिर ट्रांजेक्शन करें। ऑफिशियल यूआरएल बैंक के डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, पासबुक या फिर चेक बुक पर लिखा होता है।
मेडिकल प्रिसक्रिप्शन के नाम पर धोखा
बीमार पड़ने पर हम अक्सर डॉक्टर से कंसल्ट करने की बजाय गूगल पर बीमारी के लक्षण के आधार पर दवाई सर्च करते हैं। यह तरीका काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है। जब भी आप बीमार हों तो आप अपने नजदीकी डॉक्टर से सलाह लें। गूगल हमेशा आपको सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं कराता है, उस पर वही जानकारी उपलब्ध होती है, जो तमाम अलग अलग वेबसाइटों पर प्रोफेशनल या नॉन प्रोफेशनल्स द्वारा फीड की जाती है। मेडिकल और बीमारी की स्थिति में ऐसी गलती भूलकर भी न करें।
मोबाइल पर फेक साइट्स का लिंक भेजकर ठगी
आजकल कई मामलों में लोगों को फोन पर मैसेज भेजकर पैसे जीतने या रिफंड देने के लिए ऑफर भेजे जाते हैं। इनमें हूबहू सरकारी वेबसाइट्स जैसी दिखने वाली फेक साइट का URL भेजा जाता है। ऐसे में कई यूजर्स इन फर्जी वेबसाइट का आसानी से शिकार बन जाते हैं। इन साइटों के माध्यम से छोटे से छोटा ट्रांजेक्शन करने पर भी आपका नेट बैंकिंग अकाउंट हैक हो जाता है। इसके बाद हैकर्स ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा आपके खाते से बड़ी रकम उड़ा लेते हैं। बता दें कि भारत की लगभग सभी सरकारी वेबसाइट्स के यूआरएल के अंत में GOV.IN जरूर होता है। वेब एड्रेस को देखकर ही किसी भी सरकारी वेबसाइट को ओपन करें। शक होने पर ट्रांजेक्शन बिल्कुल भी न करें।
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