कोर्ट के आदेश की सबसे खास बात तो यह है कि पटाखों की बिक्री पर लगा ये बैन सिर्फ 1 नवंबर तक रहेगा। इसके बाद कुछ कंडीशन के साथ पटाखों की बिक्री शुरू हो जाएगी। अब लोग सोच रहे हैं कि यह कैसा बैन है? दरअसल वजह यह है कि सुप्रीम कोर्ट इस बार जरा दिल्ली वालों के साथ टेस्टिंग के मूड में है। वो देखना चाहता है कि अगर दिवाली पर पटाखे ना छूटे तो दिल्ली एनसीआर के पर्यावरण यानी वायु प्रदूषण पर उसका कितना पॉजिटिव असर पड़ता है। वैसे पिछले साल यानी 2016 में 11 नवंबर को भी कोर्ट ने पटाखों की बिक्री बंद करने का आदेश जारी किया था, लेकिन फिर इसी साल 12 सितंबर को कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर लगी रोक कुछ कंडीशन के साथ हटा दी। इसके बाद तो कई पर्यावरण प्रेमियों ने कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की अब फिलहाल कोर्ट यह फैसला दे चुका है कि दिवाली पर राजधानी और उसके आसपास पटाखे नहीं बिकेंगे। अब लोग भी बेचारे क्या करें दिवाली पर पटाखे नहीं चला पाएंगे तो कम से कम ट्विटर पर पटाखों वाली अपनी भड़ास ही निकाल लें। आज टि्वटर पर कुछ ऐसे ही झनझनाते रॉकेट दिखाई पड़ रहे हैं। हालांकि कुछ लोग कोर्ट के इस कदम की खूब तारीफ भी कर रहे हैं।
ट्विटर हैंडल गप्पिस्तान रेडियो ने कहा है, कि कोर्ट को दीवाली पर सभी कैंडल्स, दिया और लाइटों पर भी बैन लगा देना चाहिए। इन सब से निकलने वाली गर्मी से भी ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ सकती है।
एक ट्वीट में कहा गया है कि पहले जलीकट्टू पर बैन लगा, फिर हांडी फोड़ पर लिमिटेशन लगी और अब दिवाली के पटाखों पर बैन लग गया है।
चेतन भगत ने अपने ट्वीट में लिखा है कि दिवाली पर पटाखों को बैन करना मतलब क्रिसमस में क्रिसमस ट्री को बैन करना या फिर बकरीद पर बकरों को बैन करने जैसा ही है। उनका कहना है कि बैन मत करो बल्कि रेगुलेट करो और परंपराओं का सम्मान करो।
हाईवे पर चलने वालों जान लो रोड पर बनी इन लाइनों का मतलब, कहीं देर ना हो जाए...
वैसे कई लोगों ने दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर लगे बैन की खूब तारीफ भी की है।
प्रेरणा ने लिखा है कि दिवाली के त्योहार पर पटाखे जलाने और शोर मचाने का कोई तुक नहीं है। दिवाली का मतलब रोशनी और दिया से है।
अक्श ने लिखा है कि पटाखों पर बैन कुछ समय पहले लगना चाहिए था। सिर्फ दीवाली ही क्यों। न्यू ईयर और शादी समारोह में भी जमकर पटाखे चलाए जाते हैं उन्हें भी बैन करो।
एक ऐसा देश जहां आप ही नहीं स्विट्जरलैंड वाले भी रहना चाहते हैं! ये हैं खूबियां...
वैसे आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को बनाने में इस्तेमाल होने वाले पांच केमिकल्स को खासतौर पर बैन किया है । एनवायरनमेंट के लिए बहुत ही घातक ये इन पांच केमिकल्स में लेड, आर्सेनिक, लीथियम, पारा और एंटीमनी शामिल हैं। कोर्ट के आदेश के बाद बड़ी पटाखा कंपनियां भी इन केमिकल का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी।
National News inextlive from India News Desk
National News inextlive from India News Desk