सउदी अरब में महिला अधिकार समर्थकों ने देश में महिलाओं के गाड़ी चलाने पर पाबंदी लगाए जाने के विरोध में एक अभियान शुरू किया है.
सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर दर्ज टिप्पणियों में कहा जा रहा है कि कई महिलाओं ने पाबंदी की परवाह ना कर गाड़ियाँ चलाई हैं.
महिलाओं ने सोशल नेटवर्किंग साइटों पर ख़ुद के गाड़ियाँ चलाने की तस्वीरें और वीडियो लगाई हैं.
वेबसाइट फ़ेसबुक के एक पन्ने पर महिलाओं ने लिखा है कि ऐसा तबतक किया जाएगा जबतक कि उनके गाड़ी चलाने पर पाबंदी लगाने के लिए जारी शाही आदेश वापस नहीं ले लिया जाता.
ये अभियान सउदी अरब में पिछले महीने एक महिला की गिरफ़्तारी के बाद शुरू किया गया है.
इस महिला ने वेबसाइट पर अपने गाड़ी चलाने का एक वीडियो लगाया था.
अधिकारियों ने इस महिला पर – विदेशों में राजशाही की प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुँचाने और जनमत भड़काने – का आरोप लगाया.
मगर महिला के दोबारा गाड़ी नहीं चलाने का वादा करने पर उसे 10 दिन बाद रिहा कर दिया गया.
फ़तवा
"वे कहते हैं कि ये कोई ऐसा बड़ा अधिकार नहीं है. मगर आप हमें ऐसे अधिकार दे दें जिन्हें आप गाड़ी चलाने से बड़ा अधिकार मानते हों, तो हम उन अधिकारों का इस्तेमाल ही नहीं कर सकेंगे क्योंकि हमारा आना-जाना ही सीमित हो गया है. हम बिना किसी मर्द के कहीं जा ही नहीं सकते"- सउदी महिला
रूढ़िवादी इस्लाम का पालन करनेवाले सउदी अरब में महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियाँ हैं जिनमें उनके गाड़ी चलाने पर पाबंदी भी शामिल है.
हालाँकि क़ानूनी तौर पर महिलाओं के गाड़ी चलाने पर प्रतिबंध नहीं है मगर रूढ़िवादी मुस्लिम मौलवियों ने इसके ख़िलाफ़ फ़तवा जारी किया हुआ है.
प्रतिबंध का समर्थन करनेवालों का कहना है कि इससे महिलाओं की सुरक्षा होती है और वे घर से बिना किसी अन्य व्यक्ति को साथ लिए नहीं निकल सकतीं या किसी ग़ैर मर्द के साथ यात्रा नहीं कर सकतीं.
मगर सउदी अरब की एक महिला ने नाम ज़ाहिर नहीं करने के आग्रह के साथ बीबीसी को बताया कि इस पाबंदी से उन्हें कई परेशानियाँ हो रही हैं.
इस महिला ने कहा,"वे कहते हैं कि ये कोई ऐसा बड़ा अधिकार नहीं है. मगर आप हमें ऐसे अधिकार दे दें जिन्हें आप गाड़ी चलाने से बड़ा अधिकार मानते हों, तो हम उन अधिकारों का इस्तेमाल ही नहीं कर सकेंगे क्योंकि हमारा आना-जाना ही सीमित हो गया है. हम बिना किसी मर्द के कहीं जा ही नहीं सकते."
सउदी अरब में ऐसे प्रतिबंध का अंतिम बड़ा विरोध 1980 में हुआ था.
तब 47 महिलाओं को गाड़ी चलाने के लिए गिरफ़्तार किया गया और उन्हें कड़ी सज़ा दी गई और कई की नौकरियाँ छीन ली गईं.
सउदी महिलाओं में इस बात को लेकर भी नाराज़गी है कि कुवैत युद्ध के बाद उनके यहाँ तैनात अमरीकी महिला सैनिक गाड़ियाँ चलाया करती हैं मगर उन्हें ऐसा करने से रोका जाता है.
मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस पाबंदी को आने-जने की आज़ादी के लिए एक बड़ी बाधा क़रार देते हुए सउदी अधिकारियों से कहा है कि वे महिलाओं के साथ दोयम दर्जे के नागरिक की तरह का बर्ताव करना बंद करें.
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