धर्म गुरु फ़हयान अल घामदी का मामला इस साल तब दुनिया भर की सुर्ख़ियां बना था, जब अनुमान लगाया गया था कि सऊदी अरब की अदालत उसे बेटी की प्रताड़ना और मौत के मामले में बरी कर देगी.
इसके बाद दुनिया भर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने धर्म गुरु की बेटी के नाम पर 'मैं लामा हूं' अभियान चलाया.
इस दौरान यह भी पता चला कि अल घामदी सऊदी अरब के धार्मिक गुरुओं की संस्थानों से मान्यता प्राप्त गुरु नहीं हैं.
'भयावह प्रताड़ना'
लामा अल घामदी की भयावह प्रताड़ना का ख़ुलासा अस्पताल के मेडिकल रिकॉर्ड से हुआ जहां दस महीने के लंबे इलाज के बाद उसकी मौत हुई थी.
लामा की सभी पसलियां टूटी हुई थीं, एक अंगुली टूटी हुई थी और मस्तिष्क भी कुचला हुआ था. उसके शरीर पर बेंत और बिजली की तार से पिटाई के निशान मौजूद थे और शरीर का कुछ हिस्सा जला हुआ भी था.
लामा को इतना प्रताड़ित करने का आरोप उसके पिता पर ही था, जिसके साथ लामा रह रही थी. हालांकि धार्मिक गुरु लामा की मां से अलग रह रहे थे.
कथित तौर पर ऐसी ख़बरें भी सामने आई कि अल घामदी को संदेह हो गया था कि उसकी बेटी का कौमार्य भंग हो गया था, इस ग़ुस्से से उन्होंने अपनी बेटी को इतनी प्रताड़ना दी.
ऐसा संदेह भी जताया गया था कि अल घामदी ने अपनी बेटी के साथ बलात्कार भी किया, लेकिन लामा की मां ने ऐसे आरोपों से इनकार किया है.
बाल उत्पीड़न हेल्पलाइन
यह मामला इस साल तब सुर्खियों में आया था जब ये क़यास लगाए जाने लगे कि घामदी को रिहाई मिल सकती है, हालांकि उन्होंने बेटी को प्रताड़ित का आरोप क़बूल कर लिया था.
उस वक़्त न्यायाधीश ने इस्लामिक क़ानून की एक शरियत का हवाला देते हुए कहा था कि पिता को अपने बच्चों की मौत का ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
तब मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने आशंका जताई थी कि अगर लामा की मां मुआवज़े के तौर पर पैसे लेने को तैयार हो जाए तो अल घामदी रिहा हो सकते हैं.
यह ख़बर दुनिया भर की सुर्खियां बनीं.
हालांकि इस पूरे मामले ने सऊदी अरब में बाल उत्पीड़न के सच को सामने ला दिया. बाल अधिकार से जुड़े कार्यकर्ताओं के मुताबिक़ परिवार की गोपनीयता पितृसत्तात्मक परंपराओं के चलते बाल उत्पीड़न एक गंभीर समस्या है.
इस मामले के बाद सऊदी अरब सरकार ने बाल उत्पीड़न हेल्पलाइन की स्थापना की.
सज़ा पर सवाल
हालांकि अब उसी अदालत और उसी न्यायाधीश ने अल घामदी को दोषी मानते हुए सज़ा सुनाई है.
'मैं लामा हूं' अभियान से जुड़े कार्यकर्ता अज़ीज अल यूसुफ़ ने बीबीसी को बताया कि वे निराश हैं क्योंकि फ़हयान अल घामदी को उम्र क़ैद की सज़ा होनी चाहिए थी.
अल घामदी को आठ साल की सज़ा इसलिए हुई है क्योंकि लामा की मां ने मुआवज़े के तौर पर पैसे लेना स्वीकार कर लिया है, हालांकि उन्होंने पहले ऐसा करने से इनकार किया था.
लामा की मां ने कहा है कि वे इन पैसों से अपने बाक़ी के बच्चों का भरन पोषण करेंगी. इससे अल घामदी को उम्र क़ैद की सज़ा नहीं हुई.
एक दूसरी कार्यकर्ता मानल अल शरीफ़ ने भी कहा कि ये सज़ा काफ़ी नहीं है.
लेकिन मानल का मानना है कि 'मैं लामा हूं' अभियान ने सऊदी अरब के प्रतिष्ठानों पर इतना दबाव डाला कि उन्हें घरेलू हिंसा मामलों के लिए नया क़ानून लाना पड़ गया.
मानल के मुताबिक़ अब इस क़ानून को सही ढंग से लागू कराने की चुनौती है
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