कानपुर। 18 अगस्त 1956 को मुंबई में जन्में संदीप मधुसूदन पाटिल भारतीय क्रिकेट इतिहास के काफी चर्चित खिलाड़ियों में एक रहे हैं। 1983 वर्ल्डकप में भारतीय टीम जब पहली बार विश्व विजेता बनी तब पाटिल उस टीम का हिस्सा थे। सेमीफाइनल में पाटिल के शानदार अर्धशतक की बदौलत भारत को फाइनल में पहुंचने का मौका मिला जहां भारत ने वेस्टइंडीज को हराकर पहला वर्ल्डकप जीता। आइए जानते हैं इस वर्ल्डकप हीरो के करियर से जुड़ी अनजानी बातें...
क्रिकेटर पिता के बेटे हैं संदीप
संदीप पाटिल के पिता मधुसूदन और मां सुमित्रा बैडमिंटन खिलाड़ी रही हैं। ये दोनों लोकल टूर्नामेंट में मिक्स्ड डबल्स में एक साथ खेलते थे। माता-पिता को बैडमिंटन खेलता देख संदीप का रुझान इस खेल की तरफ बढ़ा। संदीप ने अपनी बहन के साथ काफी बैडमिंटन खेला मगर अंत में उन्होंने करियर क्रिकेट में बनाया। वैसे आपको बता दें संदीप के पिता बैडमिंटन के अलावा क्रिकेटर भी थे। वह मुंबई की तरफ से रणजी मैच खेला करते थे।
पैर में रस्सी बांधकर सीखा क्रिकेट
स्पोर्ट्स बैकग्राउंड से आने वाले संदीप पाटिल को बचपन से ही खेल-कूद का शौक था। धीरे-धीरे ये शौक पैशन में बदल गया और उन्होंने क्रिकेटर बनने की ठान ली। कम उम्र में ही संदीप कोच अन्ना वैद्य के पास क्रिकेट की एबीसीडी सीखने चले गए। वैद्य का संदीप को क्रिकेट सिखाने का तरीका काफी अलग था। दरअसल संदीप को शुरुआत में तेज गेंदबाजों का सामना करने में डर लगता था। ऐसे में वह बचने के लिए गेंद की लाइन से पीछे हट जाते थे। संदीप की ये हरकत देख कोच अन्ना ने पाटिल का एक पैर रस्सी से बांध दिया। अब जब भी वह पीछे हटने की कोशिश करते थे, अन्ना रस्सी खींच देते थे। ऐसे में संदीप को मजबूरन गेंद खेलनी पड़ती थी।
पाकिस्तान के खिलाफ किया डेब्यू
संदीप पाटिल ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत 1975 से की। यह वो साल था जब पाटिल ने अपना पहला रणजी मैच खेला। घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन का ही परिणाम है कि उनकी इंट्री भारतीय क्रिकेट टीम में हो गई। पाटिल ने भारत के लिए पहला मैच 1980 में खेला था। ये टेस्ट मैच था और पाटिल को पहले ही मैच में पाकिस्तान से सामना करना पड़ा।
सिर्फ चार साल खेल पाए क्रिकेट
भारत के दाएं हाथ के बल्लेबाज संदीप पाटिल अपने टैलेंट के साथ तालमेल नहीं बिठा पाए। उन्हें सिर्फ चार साल भारत के लिए खेलने का मौका मिला। इस दौरान पाटिल ने 29 टेस्ट खेले जिसमें 36.93 की औसत से 1588 रन बनाए। इसमें चार शतक और सात अर्धशतक शामिल हैं। वहीं वनडे क्रिकेट की बात करें तो पाटिल को 45 मैचों में खेलने का अवसर मिला जिसमें उन्होंने 1005 रन बनाए। वनडे में वह कोई शतक तो नहीं लगा पाए मगर 9 हाॅफसेंचुरी जरूर अपने नाम कर गए।
बने टीम इंडिया के कोच
क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद संदीप पाटिल ने भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच की भूमिका भी निभाई, हालांकि उनका कार्यकाल विवादों में रहा। 1996 में श्रीलंका में चार देशो के टूर्नामेंट के एक मैच में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया से बड़ी बुरी तरीके से हार गई थी, जिसके बाद कोच संदीप पाटिल ने टीम को खूब खरी-खोटी सुनाई थी, लेकिन कप्तान और खिलाड़ियों को उनकी ये खरी-खोटी रास नहीं आई। बाद में कप्तान और खिलाड़ियों ने बोर्ड से संदीप पाटिल की शिकायत कर डाली और इसी के चलते संदीप पाटिल को कोच के पद से हटा दिया।
केन्या को पहुंचाया सेमीफाइनल तक
संदीप पाटिल केन्या क्रिकेट टीम के कोच भी रहे हैं। इन्हीं की कोचिंग में केन्याई टीम 2003 वर्ल्डकप में सेमीफाइनल तक पहुंच गई थी। जहां केन्या को भारत से हाथों हारना पड़ा।
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