भुखमरी से जूझ रहे सोमालिया में अल-शहाब ग्रुप ने वहां के लोगों को समोसा न खाने की वॉर्निंग दी है. ग्रुप का मानना है कि यह बहुत ही ‘ऑफेंसिव’ और क्रिश्चयनिटी का प्रतीक है. इस सोमालियन टेररिस्ट ग्रुप ने पिछले दिनों इस देश में गाडिय़ों में घूम-घूमकर लाउडस्पीकर के जरिए लोगों को वॉर्न किया है.
नहीं दी कोई official वजह
ग्रुप ने अभी तक इस वॉर्निंग के पीछे कोई भी ऑफिशियल वजह नहीं दी है. समोसा सोमालिया में काफी डिमांड में है और इसे पूरे अफ्रीकन रीजन में सर्व किया जाता है. कहा जा रहा है कि समोसे की आकृति की वजह से टेररिस्ट्स को परेशानी हो रही है. उनका कहना है क्योंकि यह तिकोना होता है इसलिए क्रिश्चियनिटी का प्रतीक है. टेररिस्ट्स ने समोसे को इस्लाम के खिलाफ भी करार दिया है. एक न्यूजपेपर के मुताबिक मोगादिशु से 20 मील दूर एफगोए के लोगों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उनके यहां पर समोसे को बैन कर दिया गया है.
तालिबान से प्रभावित
समोसे पर लगाए गए बैन को तालिबानियों से प्रभावित बताया जा रहा है. इससे पहले सोमालिया में अल-शहाब ने फुटबॉल मैच देखने और खेलने पर भी बैन लगाया था. इसके अलावा पुरुषों को क्लीन शेव रहने और टाइट कपड़े पहनने के खिलाफ भी वॉर्निंग दी जा चुकी है. समोसे पर लगाए गए बैन के बाद से लोग काफी हैरान हैं. वहीं जब से यहां भुखमरी के हालात डिक्लेयर हुए हैं लोगों के लिए यह स्नैक्स पेट भरने का अच्छा जरिया बन गया था. बैन के बाद वो परेशान हैं. अल शहाब ने यहां पैदा हुए नए हालातों के बाद से फॉरेन एजेंसीज से खाने-पीने का सामान मुहैया कराने के लिए कहा था.
क्या है समोसे की history
- समोसा शब्द पर्शियन शब्द सैनबोसाग से आया है. कई अरब कंट्रीज में इसे सम्सबुश्क या ऐसे ही कुछ और नामों से भी बुलाया जाता है.
- ऐसा माना जाता है कि यह स्नैक सेंट्रल एशिया में 10वीं शताब्दी से पहले आया.
- भारतीय महाद्वीप में इस स्नैक को 13वीं सदी में कुछ बिजनेसमेन लेकर
आए थे.
- भारत से बाहर इस तिकोने स्नैक को मीट, ड्राइ फ्रूट्स और सब्जियों के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है.
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