कहानी :
कश्मीर की वादियों में झील के बीच एक स्कूल है, उसकी पुरानी टीचर जा चुकी है, नए टीचर को पुराने टीचर की डायरी मिल जाती है और उसको हो जाता है इश्क का रोग इस अनदेखी लड़की से।
रेटिंग : डेढ़ स्टार
समीक्षा :
देखिए फिल्म का मेन सेटअप बहुत अच्छा है, प्लेटोनिक लव की कहानी जिसने कभी भी अपनी लवर को देखा ही नहीं बहुत इंटरेस्टिंग प्लाट था, इसमे कोई दो राय नहीं। पर फिर फिल्म देखने के बाद एक युवक से पता चला कि प्लाट ओरिजिनल नहीं है। किसी विदेशी फिल्म से लिफ्ट किया हुआ है। चलो प्लाट न सही कम से कम फिल्म तो दिल से लिखनी चाहिए, अगर ढंग से लिखी गई होती तो फिल्म कुछ और ही होती। पर जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ती है तो एक एक हिस्सा रायते की तरह फैलने लगता है और प्रेम कहानी पूरी फिल्म के साथ रायते में गिर जाती है। ऐसी बात नहीं कि फिल्म बहुत बुरी है, सही बोले तो फिल्म 'बुरी' नहीं बस 'बोर' है।
क्या है अच्छा :
फिल्म की सिनेमाटोग्राफी, इतना अलग किस्म का कश्मीर मैने किसी फिल्म में नहीं देखा, फिल्म के आर्ट और कॉस्ट्यूम डिपार्टमेंट का काम अच्छा है।
अदाकारी :
जब तक सलमान अपने एक एक रिश्तेदार को लांच नहीं कर देते तब तक चैन से बैठनेवाले नहीं हैं, सच मे भाई जैसा कोई नहीं कि वो सबको लांच कर पाते हैं। चाहे रिश्तेदार बंधु बांधव, जीजा वगैरह उस फिल्म के लायक हों भी या नहीं। एक्टिंग की बात करें तो जहीर इकबाल बिल्कुल भी तैयार नहीं है, बहुत ही फ्लैट हैं उनके एक्सप्रेशन, हाँ वो बाकी फिल्मी काम कर लेते हैं । प्रनूतन नूतन की पोती हैं, इस फिल्म में डिसेंट डेब्यू देती हैं। बच्चे इस फिल्म के बेस्ट एक्टर हैं।
What a wonderful way to step into this world. @iamzahero @PranutanBahl you couldn’t have been in better hands. #NitinKakkar @BeingSalmanKhan https://t.co/g6zn1GK6Wb #NotebookTrailer @SKFilmsOfficial @Cine1Studios Watch our for this one guys!!!
— Nikkhil Advani (@nikkhiladvani) February 23, 2019
कुलमिलाकर फिल्म अपनी खराब और पिच्छतर दिशाओं में भाग रहै बेहद खराब स्क्रीनप्ले के चलते बेहद बोर फिल्म बन जाती है। फिर भी अगर कभी आपने कश्मीर से गुजरते हुए भी कश्मीर को दिल दिया है, उस खूबसूरती को देखने के लिए म्यूट करके देख सकते है नोटबुक।
Review by : Yohaann Bhaargava
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