माघ मास की संकटा चौथ गुरूवार को है। इस दिन महिलाएं निराजल व्रत रहकर अपनी संतान और पति के सुखी जीवन की कामना गणेश जी से करती हैं। ऐसी मान्यता है कि गणेश जी का सच्चे मन से पूजन करने से वो भक्तों के सारे कष्टों को हर लेते हैं, दूर कर देते हैं। इसे सकट चौथ, संकष्टि चतुर्थी, तिलकुट चौथ या संकटा चौथ भी कहा जाता है। इस दिन गणेश जी के साथ साथ चंद्रमा की भी पूजा की जाती है।
पूजा विधि
भारतीय समयानुसार आज सायं काल 9:25 पर चंद्रमा उदय होगा, इसलिए इससे पूर्व पूजन कार्य पूर्ण करके अर्ध्य देने की सभी तैयारियां पूरी कर लेनी चाहिए। महिलाएं दिनभर व्रत रहने के बाद सायं काल चन्द्रमा का दर्शन करती हैं और दूध का अर्घ देकर पूजा—अर्चना करती हैं। इस दिन गौरी-गणेश की स्थापना करके पूजा होती है और उन्हें पूरे साल उन्हें अपने घर में रखते हैं।
इस दिन गणेश जी को तिल चढ़ाने की परंपरा है। तिल का गुड़ में बना हुआ लड्डू भी चढ़ाते हैं। कई जगहों पर तिल और गुड़ का बकरा बनाया जाता है। उसकी पूजा करने के बाद घर का कोई बच्चा उस बकरे का गला काटता है और उसे प्रसाद में बांटा जाता है। गणेश और चंद्रमा को ईख, गुड़, तिल, अमरूद आदि का भोग लगाया जाता है।
रात में चंद्रमा को अघ्र्य देने के बाद महिलाएं व्रत खोलती हैं और भोजन करती हैं। जिस घर में लड़के की शादी हुई होती है या लड़का पैदा होता है तो उस वर्ष सकट चौथ को सवा किलो तिल को सवा किलो चीनी या गुड़ में मिलाकर 13 लड्डू बनाए जाते हैं। इन लड्डुओं को बहू अपनी सास को देती है।
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