अध्यात्मिक पथ पर चलते हुए हममें से बहुतों के साथ जो होता है, इसके पीछे एक पूरी कहानी है। एक गुरु अपने शिष्यों को शिक्षा देते हैं कि सब कुछ ब्रह्म है और ब्रह्म के अलावा कुछ नहीं है। फिर एक दिन दो शिष्य शहर जा रहे थे। तभी उनको शोर सुनाई दिया कि सामने से एक हाथी आ रहा है।
शिष्य को मनमानी करने पर मिला ये फल
हाथी पर बैठे आदमी ने भी आवाज लगाई कि उसके रास्ते से सभी हट जाएं पर दोनों शिष्यों ने सोचा कि हमारे गुरु कहते हैं कि सबकुछ भगवान हैं। इसलिए मैं अपने रास्ते पर ही रहूंगा। वास्तव में वह हाथी भी ब्रह्म है। मैं कोई कमजोर इंसान नहीं हूं फिर मैं रास्ते से क्यों हटूं। फिर आखिर वही हुआ जिसका डर था। हाथी ने उसको अपनी सूंड से उठाकर दूर फेंक दिया। दर्द से तड़पता वह शिष्य अपने गुरु के पास पहुंचा। अहंकार से भरा शिष्य बोला कि आपने कहा था कि भगवान सबकुछ हैं। देखिए हाथी ने क्या किया।
गुरु ने जवाब में क्या कहा
इस पर गुरु जी ने जवाब दिया कि तुमने वाकई वैसा नहीं किया जो मैंने कहा था। उन्होंने समझाया उस हाथी को चलाने वाले ने तुम्हें मार्ग से हटने की चेतावनी दी। तुमने अहंकार में आकर उसकी बात नहीं मानी। असल में यही है अध्यात्म। हम सोचते हैं कि हम ही भगवान हैं और ये सोचते हुए हम खुद का ख्याल रखने लगते हैं। यहां स्वविवेक का इस्तेमाल करो। हर इंसान में भगवान को देखकर उसकी चेतावनी को स्वीकार करना भी समय के लिहाज से अहम है।
- साध्वी भगवती सरस्वती
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