मस्तिष्क को प्रशिक्षित क्यों किया जाना चाहिए ?

मस्तिष्क हमारे शरीर का बेहद अहम अंग है। बस जरूरत है इसको प्रशिक्षित कर, समझदार बनाने की। मैं लड़ाई या संघर्ष जैसे अर्थ देने वाले शब्दों को नजरअंदाज ही करती हूं, क्योंकि ये सब हमारे अंदर है, इसलिए आप खुद ये चाहेंगे कि आपके शरीर का एक हिस्सा, दूसरे हिस्से को कंट्रोल कर ले, ना कि एक-दूसरे से लड़ाई करे।

हमारे शरीर के अंगों से मिलती है सामन्जस्य की सीख

कुल मिलाकर हमारे सारे अंग मिलकर हमारी ही बॉडी का निर्माण करते हैं, इसलिए जैसे दुनिया को अच्छा बनाए रखने के लिए हर इंसान के बीच करुणा और प्रेम की जरूरत होती है, वैसे ही हमारे शरीर को अच्छा बनाए रखने के लिए हमारे हर एक अंग का भी प्रेम और समझदारी से आपसी जुड़ाव जरूरी है। हम जब अपने मस्तिष्क को नियंत्रित करने की बात करते हैं, तो इसको सख्ती के साथ नियंत्रित नहीं कर सकते। सिर्फ अभ्यास की मदद से इसको नियंत्रित किया जा सकता है।

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मेडिटेशन से इस तर मस्तिष्क को करें प्रशिक्षित

अब बात करें  मस्तिष्क को प्रशिक्षित करने के तरीके की, तो ये इस बात पर निर्भर करती है कि आप क्या अवशोषित करना चाहते हैं? आप किस बात पर फोकस करना चाहते हैं? इन बातों का जवाब आपको मेडिटेशन यानी कि ध्यान से मिलेगा। मेडिटेशन एक औजार है। हम जब कहते हैं कि श्वांस लेने पर ध्यान केंद्रित करो, तो हमारा मस्तिष्क वही करता है। हमारा श्वांस लेने के इंस्ट्रैक्शन से लेकर ये शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाता है। मेडिटेशन की हेल्प से ये इंस्ट्रैक्शन बहुत आसानी से हमारा मस्तिष्क शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाएगा। अब आप सोचेंगे कि ये काम तो मेडिटेशन न करने वालों का मस्तिष्क भी करता है। बता दें कि मेडिटेशन के साथ ये इंस्ट्रक्शन उतनी ही शांति के साथ हमारे अंगों तक पहुंचता है और हम भीतर से बहुत अच्छा महसूस करते हैं।

-साध्वी भगवती सरस्वती

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