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KANPUR: जब भी मैं लोगों से मिलता हूं, तो मैं उनके साथ मेलजोल बढ़ाने में बहुत हिचकता हूं। मैं क्या करूं?
अभी जीवन के बारे में आपकी समझ में 'आप' हैं और 'बाकी दुनिया' है। तो यह असल में आपके मुकाबल पूरा संसार है - प्रतिस्पर्धा की दृष्टि से यह एक खराब मुकाबला हुआ। क्या आपको लगता है कि आपके जीतने की कोई संभावना है? दुनिया से मुकाबला मत कीजिए। इसीलिए हमने एक तरीका निकाला है योग। योग शब्द का अर्थ है 'एकत्व।' इसका मतलब है कि आप लगातार अपने व्यक्तित्व की सीमाओं को मिटा रहे हैं। आप और संसार दअलग-अलग चीजें नहीं हैं- बस एक ही चीज है। आपको थोड़ा योग करना चाहिए, वरना आपका दिमाग हर तरह की सोच, भावनाओं और धारणाओं से विकृत हो जाएगा। अगर आप थोड़ा खुल जाते हैं, अगर आप अपने व्यक्तित्व
की सीमाओं को जागरूक होकर मिटाते हैं, तब यह बहुत असान हो जाता है क्योंकि जब आप यहां बैठते हैं, तो आप दूसरे इंसान को अपने हिस्से की तरह देखते हैं। आपको इससे कोई समस्या नहीं होती कि वह आदमी है, औरत है, बच्चा है, या जानवर। आप हर चीज के साथ पूरी तरह से संचार करेंगे क्योंकि आपने अपनी सीमाएं खोल दी हैं। जब आप अपनी सीमाओं को कठोर बना लेते हैं, सिर्फ तभी आपको हमेशा समस्या होगी। यही समय है कि आप खुद को सहज बनाने का प्रयास करें- सिर्फ दूसरे लोगों के साथ ही नहीं, बसजीवन के साथ। योग का पूरा विज्ञान और टेक्नॉलजी इसीलिए है कि आप अपने शरीर की केमेस्ट्री, अपने मन की उथल-पुथल, और ऊर्जाओं को कैसे संभालें। अगर आप इसे एक खास स्तर तक ले आते हैं, तब चाहे जो भी आए, आप सहज रहेंगे।
किसी को जीवन में परिपक्व होने के लिए किन कठिन परिस्थितियों से गुजरना होता है?
जीवन में कोई कठिनाइयां नहीं हैं। बस परिस्थितियां होती हैं। जीवन बस परिस्थितियां है- आप उसे कठिनाई के रूप में अनुभव करते हैं या आनंद के रूप में, यह आपका चुनाव है। अगर आप परिपक्व हो गए हैं, तब आप यह सुनिश्चित करेंगे कि आप हर चीज को आनंदपूर्ण प्रक्रिया बना देते हैं। अगर आप अपरिपक्व हैं तो आप खुद के लिए हर चीज को कठिन बना लेंगे। किस तरह की परिस्थितियां कठिन हैं, किस तरह की परिस्थितियां सुखद हैं? ऐसा कुछ नहीं होता। अगर आप आसान परिस्थिति में होना चाहते हैं, तो यह बहुत सरल है। हम आपको बस एक पिंजड़े में बंद कर सकते हैं, और आपको हर दिन भरपेट खाना दे सकते हैं। हम यह पक्का करेंगे कि आप हर चीज से पूरी तरह से सुरक्षित हैं- कोई खतरा नहीं, कोई कठिनाई नहीं, आपको अपने परिवार, अपनी पत्नी, अपने बच्चे का ख्याल नहीं रखना है, कुछ नहीं करना है। कोई भी मुश्किल नहीं।
जिसे आप 'मैं' कहते हैं, वो वास्तव में एक 'केमिकल सूप' है: सद्गुरु जग्गी वासुदेव
इंसान होना एक असीम संभावना है, खत्म न होने वाली खोज है : सद्गुरु जग्गी वासुदेव
क्या इस पिंजड़े में रहने को आप तैयार हैं?
हर चीज का पूरा ख्याल रखा जाएगा। बस उस पिंजड़े में रहिए। क्या आप तैयार हैं? नहीं। आप कठिनाइयां चाहते हैं, आप चुनौतियां चाहते हैं, आप लगातार अपने दायरे का
विस्तार करना चाहते हैं, है न? अगर आप जानते हैं कि कैसे शांत रहें, कैसे अपनी आंखें बंद करके लंबे समय तक बैठें, तो आप बहुत जल्दी परिपक्व हो जाएंगे। अगर आप जानते हैं कि आपका दिमाग जो बकबक कर रहा है, वह महत्वपूर्ण नहीं है, अगर आप अपने सिर में चल रही मनोवैज्ञानिक बकवास में नहीं खोए हुऐ हैं, तब आप बहुत जल्दी परिपक्व हो जाएंगे। बस जीवन को देखने और बिना अपने तरीके की व्याख्या किए जीवन को जानने से आप निश्चय ही बहुत जल्दी परिपक्व हो जाएंगे। अगर कोई अपने
जीवन में बिना किसी उलझाव के सहजता से घूमता है, तब आप कहते हैं कि वह बहुत परिपक्व है। जो होने की जरूरत है, वह बस यह है- आप जीवन की व्याख्या करना
बंद कर दें और जीवन को अनुभव करना शुरू कर दें।
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