भाग्य के सहारे आगे बढने की चाह में वे उन चीजों को भी खो देते हैं, जो वे खुद आराम से कर सकते थे। आपके जीवन का कोई भी पहलू हो, उसके लिए जिम्मेदार आप ही हैं। आप की शांति या अशांति, आप की स्वस्थ मानसिकता या आप का पागलपन, आप की खुशी या आप का दुख, आप के अंदर भगवान या शैतान, ये सब आप का काम है, आपका किया धरा है।
अपनी ऊर्जा का पूरी काबिलियत के साथ इस्तेमाल करने के बजाय, अपने भीतर और बाहर सही वातावरण बनाने के बजाय, दुर्भाग्य से हम हमेशा ऐसी चीजें ढूंढते रहते हैं, जो हमारे लिए ये सब कुछ कर दें। आज सुबह से शाम तक आपने कैसा अनुभव किया, यह आप पर निर्भर करता है। अपने आसपास के लोगों के साथ आपका कितना टकराव है, यह सिर्फ इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपने आसपास के लोगों और परिस्थितियों को तथा उनकी सीमाओं और संभावनाओं को समझने में कितने असंवेदनशील रहे। यह इस बात से बिल्कुल भी तय नहीं होता कि आप कौन सा भाग्यशाली पत्थर या तावीज पहने हुए थे। यह सिर्फ इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी संवेदनशीलता, बुद्धिमत्ता और जागरूकता के साथ अपने आसपास के जीवन को देखते हैं, काम करते हैं और रहते हैं।
बात यह है कि यदि आप एक खास तरह के हैं, तो एक खास तरह की चीजें आप की ओर आकर्षित होंगीं। अगर आप किसी दूसरी तरह के हैं, तो फिर कुछ और तरह की चीजें आपके लिए होंगी। अगर किसी स्थान पर एक फूलोंवाली झाड़ी है और एक कटीली, सूखी झाड़ी है, तो सभी मधुमक्खियां फूलों वाली झाड़ी की ओर जाएंगी। फूलों वाली झाड़ी भाग्यशाली नहीं है, बस उसके पास सुगंध है, जो आप को दिखती भी नहीं, जो सबकुछ अपनी ओर आकर्षित कर रही है। लोग कटीली, सूखी झाड़ी से दूर रहते हैं, क्योंकि वह एक अलग तरह की परिस्थिति तैयार करती है। शायद उन दोनों ही झाडिय़ों को पता नहीं कि वे क्या बना रही हैं पर हो वही रहा है, जो होना चाहिए।
तो अगर आप के लिये अच्छी बातें हो रही हैं और आप नहीं जानते कि क्यों ऐसा हो रहा है तो मैं कहूंगा कि आप बासी खाना खा रहे हैं। आपने अपना खाना कभी पहले पकाया था, शायद बहुत पहले और आज भी आप अच्छा खाना खा रहे हैं, लेकिन वो बासी होता जा रहा है, लेकिन यदि आपके लिये अच्छी चीजें हो रही हैं और आप जानते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है तो इसका मतलब यह है कि आपने अपना खाना आज ही पकाया है, जागरूकता के साथ।
भारत की लोक भाषाओं में, भाग्यशाली होने के लिये शब्द है, अदृष्ट। दृष्टि का मतलब है देखना, अदृष्ट का मतलब है-अनदेखा। आप की दृष्टि चली गयी है। अगर आप देख सकते तो जान सकते कि जो कुछ हो रहा है वह क्यों हो रहा है? जब आप देख नहीं पाते, तो आपको लगता है कि चीजें ऐसे ही हो रही हैं या अकस्मात हो रही हैं। इसी को हम भाग्य कहते हैं।
आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि आपने अपना जीवन सौ फीसदी अपने हाथ में रखा है। जब आप अपना जीवन सौ फीसदी अपने हाथ में रखते हैं तब ही आप पूरी तरह जागरूक इंसान होते हैं और आप के जीवन में दिव्यता की संभावना होती है। समय आ गया है कि आप अपना जीवन होशपूर्वक, जागरूकता के साथ जियें। भाग्य, सितारों, ग्रहों पर निर्भर मत रहिये।
भाग्य और अवसर के भरोसे न बैठें
अपने आप को ऐसी बातों से प्रभावित मत होने दीजिये क्योंकि अगर एक बार आप इस चक्कर में पड़ गये तो आप इसमें फंस जायेंगे और अपने जीवन में आप जो कुछ कर सकते हैं, उसको सीमित कर लेंगे। आप उससे आगे नहीं जा पायेंगे। यह आप के विकास को, संभावनाओं को रोक देगा। कभी-कभी कुछ बातें अनायास हो जाती हैं लेकिन अगर आप ऐसे अवसरों की राह ही देखते रहेंगे तो अच्छी बातें, आप के लिये, हो सकता है, तब हों जब आप कब्र में पहुंच गये हों, क्योंकि इसके लिये वक्त लगता है। जब आप भाग्य की, अवसर की राह देखते रहते हैं तो आप भय में, चिंता में जीते हैं। जब आप इरादे के साथ, योग्यता के साथ जीते हैं तो आपके साथ क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा, यह महत्वपूर्ण नहीं होता। आप, कम से कम, अपनी परिस्थितियों को अपने नियंत्रण में रखते हैं। यह ज्यादा स्थायी जीवन है।
-सद्गुरू जग्गी वासुदेव
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