खुद पर शंका से कैसे उबरें, खासकर एक युवा के लिए
खुद पर शंका होना अच्छा है। मैं जानता हूं कि हर कोई कहता है, 'खुद में विश्वास करो!' मैं तो कहूंगा, 'कृपया खुद पर शंका कीजिए।' अगर कोई चीज सही या गलत होती है, तो पहले हमेशा इस पर गौर करें कि हो सकता है कि यह आपकी वजह से हुआ हो। अगर ऐसा नहीं है, तब दूसरों को देखें। तथाकथित आत्मविश्वासी मूर्ख हर किसी को कदम तले रौंदते चल रहे हैं। शंका आपके अंदर समझदारी लाएगी। आप धरती पर कोमलता से चलेंगे। मनुष्य के कई आयाम हैं - यह शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और विकास के दूसरे आयाम हैं। अधिकतर समय हम विकास को शारीरिक तौर पर नापते हैं, और अगली संभावना भावनात्मक है। हमें दूसरे आयाम सिर्फ तब पता चलते हैं जब जीवन की परिस्थितियां हमें चुनौती देती हैं। हममें से अधिकतर लोगों के लिए अपनी भावना और ऊर्जा के विकास का स्तर और एक प्राणी के रूप में अपने विकास का स्तर सिर्फ तभी जाहिर होता है जब जीवन हमारे सामने बहुत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां खड़ी कर देता है। अधिकतर लोग जीवन की परिस्थितियों के प्रति अपनी ही प्रतिक्रिया पर आश्चर्य करेंगे। शारीरिक और मानसिक विकास के मामले में शरीर बहुत स्पष्ट चीज है, तो यह एक खास गति से विकास करता है। लेकिन आप जो कुछ हैं, उसका भावनात्मक आयाम इतनी स्पष्ट प्रक्रिया नहीं है। यह ज्यादा लचीला, बदलता रहने वाला और धुंधला है। तो इसे आपके शारीरिक प्रक्रिया से काफी आगे विकास कर पाने में सक्षम होना चाहिए। अगर लोग विकास में कष्ट महसूस कर रहे हैं, तो यह मुख्यतया इसलिए है क्योंकि उनका मानसिक विकास उनके शारीरिक विकास से कम से कम एक कदम आगे नहीं है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि समाज में हम एक ऐसी परिस्थिति बनाएं जहां हर बच्चा मानसिक रूप से अपने शारीरिक विकास से कम से कम एक कदम आगे हो। अगर आप अपने जीवन यह एक चीज करते हैं, तो आप देखेंगे - चाहे यह यौवन हो, या अधेड़ उम्र या बुढ़ापा हो-कि आप किसी भी चीज से हैरान नहीं होंगे। आपको पता होगा कि उसका सामना कैसे करें और उसे कैसे संभालें। साधारण चीजों की वजह से आपके जीवन में कोई धक्के और उथलपुथल नहीं होंगे। अभी, लोग इस तरह से रह रहे हैं कि बच्चों को डायपर की समस्याएं हैं, किशोरों को हारमोन्स के मुद्दे हैं, अधेड़ लोगों को मघ्य-जीवन समस्या है, और बुढ़ापे में लोग नि:संदेह कष्ट झेल रहे हैं। मुझे आप एक आयाम बताइए जिसे लोग समस्या की तरह नहीं देख रहे हैं! जीवन समस्या नहीं है। जीवन एक प्रक्रिया है। प्रश्न यह है कि आपने स्वयं को प्रक्रिया के लिए तैयार किया है या नहीं?
जीवन की व्याख्या करना बंद करके, बस उसका अनुभव करें: सद्गुरु जग्गी वासुदेव
जिसे आप 'मैं' कहते हैं, वो वास्तव में एक 'केमिकल सूप' है: सद्गुरु जग्गी वासुदेव
सफल कैसे हों?
दुनिया के मुताबिक, सफलता का मतलब है कि आप अपने बगल के इंसान से थोड़ा ज्यादा तेज दौड़ रहे हैं। सफलता की मेरी सोच यह नहीं है। मेरे लिए, सफलता का मतलब है, 'क्या मैं स्वयं को पूरी तरह से इस्तेमाल कर पा रहा हूं? क्या मैं अपनी क्षमता को पूर्णत: उपयोग कर पा रहा हूं?' अगर ऐसा होना है तो उसके लिए आपको समझ और एक सक्रिय बुद्धिमत्ता चाहिए। 'मैं अपनी बुद्धिमत्ता को कैसे विकसित करूं?' उसकी चिंता मत कीजिए। लोग अपने दिमाग का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं। यह आपको सिर्फ सामाजिक रूप से सफल बनाएगा, सचमुच का सफल नहीं। अभी, महत्वपूर्ण चीज है अपनी समझ को ऊंचा उठाना। अगर आप जीवन को बस वैसा ही देख पाते हैं जैसा यह है, बिना किसी विकृति के, तो आपके पास इसे चलाने के लिए आवश्यक बुद्धिमत्ता है। आप जीवन को आनंदपूर्वक खेल सकते हैं और यकीनन आप इसे अच्छे से खेल सकते हैं। अगर आप अच्छे से खेल सकते हैं, तो लोग कहेंगे कि आप सफल हैं। जो लोग असफल रहे, वे भी काफी पढ़ेलिखे, बुद्धिमान और सक्षम थे। लेकिन वे अपने जीवन में किन्हीं खास पलों में कुछ चीजों को समझने में असफल रहे। आप एक गलत समय पर गलत धंधे में चले गए। गलत चीजों को संभालने के लिए आपको एक गलत आदमी मिला। असफलता बस यही है, और सफलता भी बस यही है। जो लोग सफलता में आगे बढ़े हैं, वे किसी चीज में असाधारण प्रतिभावान नहीं भी हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने अपनी समझ और स्पष्टता को कायम रखा। आप जो बात कर रहे हैं, वे उसे बस समझ जाते हैं, और वहीं पर आपकी गलती पकड़ लेते हैं कि क्या ठीक है और क्या ठीक नहीं है। तो सफलता मत खोजिए, बस काबिलयत खोजिए - स्वयं को उच्च स्तर तक कैसे ऊंचा उठाएं। अगर आपकी काबिलियत का स्तर शानदार है, तो आपको जहां कहीं भी रखा जाएगा, आप वैसे भी सफल हो जाएंगे। अगर आप जबरदस्त सक्षम हैं, अगर आप स्वयं को क्षमता के एक खास आयाम में विकसित करते हैं, तो सफलता आपके जीवन में लक्ष्य भी नहीं रहेगी। यह ऐसी चीज है जो आपका अनुसरण करती है, जहां भी आप जाते हैं। अगर एक इंसान एक महान क्षमता और योग्यता तक विकास करता है, तो पूरी दुनिया उसके पीछे जाएगी। आप दुनिया पीछे जाएं, इसके बजाय बेहतर यह होगा कि लोग आपके पास आएं, क्योंकि आपके पास एक खास क्षमता और संभावना है।
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