1. मकबरे से बाहर आएंगे लेनिन
लेनिन दुनिया के उन नेताओं में शामिल हैं जो मरने के बाद भी चर्चा में रहे। साल 1924 में 54 साल की उम्र में स्ट्रोक की वजह से उनका निधन हो गया था। लेनिन के शव को उस वक्त न तो जलाया गया, न ही दफनाया गया। उनके शव को मास्को के रेड स्कवेयर के एक म्यूजियम में रखा गया है। पहले तो यह शव लकड़ी के ताबूत में रखा था, बाद में इसे ग्रेनाइट पत्थर के मकबरे में तब्दील कर दिया। क्रांतिकारी नेता लेनिन ने वर्ष 1917 में अक्टूबर क्रांति का नेतृत्व किया था। बोलशेविक्स के नेता के रूप में वह वर्ष 1917-1924 तक सोवियत गणराज्य के शीर्ष पद पर बने रहे।
2. शव के संरक्षण में 2 लाख डॉलर का खर्च
रूसी बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर लेनिन के शव की देखभाल 1924 में तब से कर रही है जब पहली बार लेनिन की लाश जनता के दर्शन के लिए मॉस्को के रेड स्क्वेयर में रखी गई थी। हालांकि सोवियत संघ के टूटने के बाद से लेनिन का शव दफनाने की मांग उठती रही है। लेनिन की लाश के संरक्षण पर रूसी सरकार ने पिछले साल दो लाख डॉलर खर्च किए थे।
3. लेनिन के भाई को हुई थी फांसी :
ब्लादीमीर इलिच लेनिन की बचपन की खास बात यह थी कि वह सरकार द्वारा प्रतिबंधित क्रांतिकारी ग्रंथों का अध्ययन किया करता था। उनके बड़े भाई को रूस के जार की हत्या की साजिश में पीटर्स बर्ग से गिरफ्तार कर लिया था और 8 मई 1887 को फांसी दे दी गई थी।
4. कालेज ने निकाले गए थे बाहर :
कॉलेज के दिनों में लेनिन को तानाशाही विरोधी छात्र प्रदर्शनों में भाग लेने के कारण और मार्क्सवादी संगठन बनाने के कारण कई बार कॉलेज से निकाला गया था। समाज सुधारक कार्य करते करते उनकी मुलाकात एक महिला समाज सुधारक क्रुप्स्काया से हुई जिससे ब्लादीमीर इलिच लेनिन ने बाद में शादी कर ली।
5. फिर भी लिख डाली कई किताबें :
23 फरवरी 1918 में लेनिन ने सोवियत प्रजातंत्र की रक्षा के लिए मजदूर किसान लाल सेना का गठन किया। लेनिन ने अपने जीवन काल में कई पुस्तकें और कविताएं लिखी जैसे:- "क्या करें", "रूस में पूंजीवाद का विकास ","रूसी सामाजिक जन वादियों के कर्तव्य"
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