सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही है अफवाह
नये नोटों में जीपीएस चिप है। जिसे सैटेलाइट के माध्यम से ट्रैक किया जा सकता है। नोटबंदी के बाद जब से नये नोट आये हैं तब से सोशल मीडिया पर इस तरह के मैसेज फॉरवर्ड किए जा रहे हैं। इन मैसेजों में नोटों के पकड़े जाने की पीछे उनमें इस्तेमाल स्याही को बताया जा रहा है। मैसेज में बताया गया है कि नोटों में प्रिंटिंग के समय फॉस्फोरस के रेडियोएक्टिव आइसोटोप का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसमें 15 प्रोटॉन और 17 न्यूट्रॉन होते हैं। यह रेडियोएक्टिव वार्निंग टेप की तरह प्रयोग होता है। एक ही जगह पर अगर बहुत अधिक मात्रा में नोट होते हैं तो रेडियोएक्टिव मेटर डिटक्टर से इसका पता चल जाता है।
नोटों पर रेडियोएक्टिव इंक लगाने की अफवाह
सोशल मीडिया पर लोग अफवाह फैला रहे हैं कि इसी से लोग जांच समितियों के रडार में आ रहे हैं। रेडियोएक्टिव पदार्थ से अल्फा, बीटा और गामा कण निकलते हैं, जो शरीर के लिए बेहद हानिकारक होते हैं इस वजह से त्वचा का कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा रहता है। लेकिन इन मैसेज में साफ तौर पर कहा गया है कि यह ऐसा रेडियोएक्टिव पदार्थ है जिससे शरीर कोई नुकसान नहीं होता है। हालांकि रेडियो एक्टिव तत्व की एक विशेषता होती है कि वह एक निश्चित समय में अपनी मूल मात्रा का आधा रह जाता है इसे अर्धआयु कहते हैं। ये सब अफवाह है। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में इन सभी को झूठ बताया गया है।
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