सहारा ग्रुप की ओर से भेजे गए 128 ट्रक डॉक्यूमेंट को संभालने के लिए बाजार नियामक सेबी को रोबोट की मदद लेनी पड़ी है. निवेशकों से जुटाई गई रकम से संबंधित इन डॉक्यूमेंट को छांटने और इन्हें सही सलामत सहेज कर रखने के लिए इन्हें ऑटोमैटिक रोबोटिक सिस्टम से लैस वेयरहाउस में भेजा गया है. हालांकि, इनकी वैधता की जांच सेबी द्वारा नियुक्त एजेंसी ही करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा की दो कंपनियों द्वारा जुटाई गई रकम इनवेस्टर्स को लौटाने की जिम्मेदारी सेबी को सौंपी है. दोनों कंपनियों ने करीब तीन करोड़ इनवेस्टर्स से यह रकम जुटाई है. इनवेस्टर्स को रकम लौटाने के लिए अब सेबी को इन सभी दस्तावेजों की वैधता जांचनी है.
सहारा ने सेबी को 128 ट्रक डॉक्यूमेंट भेजे हैं. इतने दस्तावेजों को अपने ऑफिस में रख पाना सेबी के लिए नामुमकिन था. इसलिए उसने इन्हें स्टॉक होल्डिंग ऑफ इंडिया लिमिटेड की सहायक इकाई एसएचसीआइएल के वेयरहाउस में रखने का फैसला किया.
इस वेयरहाउस में बड़े पैमाने पर डॉक्यूमेंट के मैनेजमेंट और स्टोरेज के लिए ऑटोमैटिक रोबोटिक सिस्टम का यूज किया जाता है. साथ ही यहां डॉक्यूमेंट को अलग-अलग अल्मारियों में रखा जा सकेगा जिससे डॉक्यूमेंट की जांच-परख में मदद मिलेगी. जांच-परख का काम रोबोटिक सिस्टम की मदद से नहीं किया जा सकेगा क्योंकि इन डॉक्यूमेंट के फॉर्मेट अलग-अलग हैं.
नवी मुंबई स्थित इस वेयरहाउस में 32 लाख घन फुट स्टोरेज कपैनिसटी है. पहले जब शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक तरीके (डीमैट) से नहीं रखा जाता था तब सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों रखने के लिए यह वेयरहाउस बनाया गया था.
फिलहाल एसएचसीआइएल एसबीआइ, इंडिया पोस्ट और सेबी सहित कई कस्टमर्स को डॉक्यूमेंट के स्टोरेज, रोबोटिक सिस्टम के जरिए अहम डॉक्यूमेंट के मैनेजमेंट और उन्हें इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में तब्दील करने जैसी फैसिलिटीज उपलब्ध करा रही है. इस वेयरहाउस में डॉक्यूमेंट की हैंडलिंग में मैन पावर का बिल्कुल भी यूज नहीं होता.
Business News inextlive from Business News Desk