दर्पण कहीं भी लगा हो, उसमें शुभ वस्तुओं का प्रतिबिंब होना चाहिए। वास्तु शास्त्र में दर्पण को उत्प्रेरक बताया गया है, जिसके द्वारा भवन में तरंगित ऊर्जा की सृष्टि सुखद अहसास कराती है। इसके उचित उपयोग द्वारा हम अनेक आश्चर्यजनक उपलब्धियां अर्जित कर सकते हैं। कैसे, आइए जानें:
1. भवन के पूर्व और उत्तर दिशा व ईशान कोण में दर्पण की उपस्थिति लाभदायक होती है।
2. भवन में छोटी व संकुचित जगह पर दर्पण रखना चमत्कारी प्रभाव पैदा करता है। दर्पण कभी खिड़की या दरवाजे की ओर देखता हुआ न लगाएं।
3. आपका ड्राइंग रूम छोटा हो तो चारों दीवारों पर दर्पण के टाइल्स लगाएं, लगेगा नहीं कि आप अतिथियों के साथ छोटे कमरे में बैठे हैं।
4. कमरे में दीवारों पर आमने-सामने दर्पण लगाने से घर के सदस्यों में बेचैनी और उलझन होती है।
5. दर्पण को मनमाने आकार में कटवाकर उपयोग में न लाएं।
6. मकान का कोई हिस्सा असामान्य शेप का या अंधकारयुक्त हो तो वहां गोल दर्पण रखें।
7. यदि घर के बाहर इलेक्ट्रिकल पोल, ऊंची इमारतें, अवांछित पेड़ या नुकीले उभार हैं और आप उनका दबाव महसूस कर रहे हैं तो उनकी तरफ उत्तल दर्पण रखें।
8. किसी भी दीवार में आईना लगाते वक्त यह ध्यान रखें कि वह न एकदम नीचे हो और न अधिक ऊपर। अन्यथा परिवार के सदस्यों को सिरदर्द हो सकता है।
9. यदि बेडरूम में ठीक बिस्तर के सामने दर्पण लगा रखा हो उसे हटा दें। यहां दर्पण की उपस्थिति वैवाहिक और पारस्परिक प्रेम को तबाह कर सकती है।
10. मकान के ईशान कोण में उत्तर या पूर्व की दीवार पर स्थित वॉशबेसिन के ऊपर दर्पण भी लगाएं। यह शुभ फलदायक है।
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