ग़ैर सरकारी संस्था ऑक्सफ़ैम के एक शोध के मुताबिक़, अगर अर्थव्यवस्था वर्तमान विकास दर से आगे बढ़ती रही तो 2016 में सबसे धनी एक प्रतिशत लोगों की सम्पत्ति में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हो जाएगी.
ऑक्सफ़ैम के मुताबिक जहां 2009 में इन लोगों की सम्पत्ति में 44 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, वहीं 2014 में 48 फीसदी की वृद्धि देखी गई.
ऑक्सफ़ैम ने चेताया कि 'असमानता का यह विस्फोट' वैश्विक ग़रीबी के खिलाफ लड़ाई को पीछे धकेल रहा है.
अमीर होते और अमीर
सोमवार को दावोस में होने वाले वार्षिक विश्व आर्थिक फोरम से पहले ऑक्सफ़ैम इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक विनी ब्यानयीमा ने कहा, "वैश्विक असमानता के पैमाने काफ़ी चौंका देने वाले हैं. इनमें सबसे अमीर और बाकी लोगों के बीच का अंतर बहुत तेजी से बढ़ रहा है.
ऑक्सफ़ैम ने कहा है कि दुनिया की कुल सम्पत्ति के 52 प्रतिशत हिस्से के 46 प्रतिशत पर दुनिया की आबादी के सबसे धनी पांच लोगों का मालिकाना है.
जबकि शेष आबादी के हिस्से वैश्विक सम्पत्ति की 5.5 प्रतिशत आती है. वर्ष 2014 में प्रति व्यक्ति के हिस्से औसतन 3,544 डॉलर (क़रीब सवा दो लाख रुपए) सम्पत्ति आती है.
बढ़ती खाई
जबकि एक प्रतिशत की आबादी में प्रति व्यक्ति के हिस्से औसतन 27 लाख डॉलर (16.65 करोड़ रुपए) की सम्पत्ति है.
ब्यानयीमा कहती हैं कि क्या लोग ऐसी दुनिया में रहना चाहेंगे जहां सिर्फ एक फीसदी लोग विश्व के बाकी बचे लोगों से अधिक सम्पत्ति के मालिक हों.
इससे पहले पिछले अक्तूबर में बैंकिंग कंपनी क्रेडिट स्विस ने भी एक रिपोर्ट में कहा था कि सिर्फ़ एक फीसदी लोगों के पास विश्व की कुल आबादी की आधी सम्पत्ति है.
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