नई दिल्ली (पीटीआई)। कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स (सीपीआई) पर आधारित महंगाई इस वर्ष मार्च में 6.95 प्रतिशत पर थी जबकि अप्रैल 2021 में यह 4.23 प्रतिशत पर थी। अप्रैल में खाने-पीने की चीजों की महंगाई बढ़ कर 8.38 प्रतिशत पर पहुंच गई। मार्च में यह 7.68 प्रतिशत पर थी जबकि पिछले एक वर्ष पहले अप्रैल में यह 1.96 प्रतिशत पर थी।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, अभी बनी रहेगी महंगाई
आरबीआई को सरकार की तरफ से यह ताकीद की गई थी कि महंगाई 4 प्रतिशत से नीचे बनी रहे। इसमें 2 प्रतिशत ऊपर-नीचे की गुंजाईश थी। लेकिन इसके बावजूद जनवरी 2022 से लगातार चौथे महीने यह 6 प्रतिशत से ऊपर ही बनी हुई है। अचानक माॅनिटरी पाॅलिसी (एमपीसी) की बैठक में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने घरेलू महंगाई के लिए जियोपाॅलिटिकल सिचुएशन व ग्लोबल स्तर पर खाने-पीने की चीजों के आसमान छूते रेट को वजह बताया था। साथ ही यह भी कहा था कि अभी इसका असर बना रहेगा।
अगस्त 2018 के बाद पहली बार महंगा हुआ कर्ज
इस बीच सूत्रों का कहना था कि केंद्रीय बैंक महंगाई को काबू करने के लिए केंद्रीय बैंक आने वाले महीनों में होने वाली एमपीसी की बैठक में ब्याज दरें बढ़ाने पर विचार कर सकता है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि महंगाई आरबीआई के कंफर्ट लेवल से ऊपर जा चुकी है। महंगाई पर काबू करने के लिए इस महीने की शुरुआत में एमपीसी ने रेपो रेट 40 बेसिस प्वाइंट पर बढ़ाने की घोषणा की थी। अगस्त 2018 के बाद पहली बार कर्ज महंगा किया गया था।
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