कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Republic Day Parade 2022 : भारत इस बार 26 जनवरी को अपना 73 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। यह उत्सव उस दिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है जब 1950 में भारतीय संविधान लागू हुआ था। इस दिन को पूरे धूमधाम और शो के साथ मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में कई उत्सव होते हैं जिसमें एक भव्य परेड होती है। इसे देश भर के सभी लोग अपने टेलीविजन सेट पर देखते हैं। इस दिन राष्ट्रीय ध्वज को गर्व, राष्ट्र की भावना और लोकाचार के साथ फहराया जाता है।

1955 से राजपथ 26 जनवरी की परेड का स्थायी स्थल बना
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर साल 26 जनवरी को परेड का आयोजन नई दिल्ली स्थित राजपथ पर किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजपथ 1950 से 1954 तक परेड का आयोजन केंद्र नहीं था? इन वर्षों के दौरान, 26 जनवरी की परेड इरविन स्टेडियम (अब नेशनल स्टेडियम), किंग्सवे, लाल किला और रामलीला मैदान में आयोजित की गई थी। 1955 से राजपथ 26 जनवरी की परेड का स्थायी स्थल बन गया।

राजपथ की पहली परेड में पाकिस्तान के गवर्नर थे चीफ गेस्ट
प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी की परेड में किसी भी राष्ट्र के प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति/या शासक को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है। 26 जनवरी 1950 को आयोजित पहली परेड में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डॉ. सुकर्णो को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। हालांकि, 1955 में जब पहली परेड राजपथ पर आयोजित की गई थी, तब पाकिस्तान के गवर्नर-जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद को आमंत्रित किया गया था।

परेड कार्यक्रम राष्ट्रपति के आगमन के साथ शुरू होता है
26 जनवरी को परेड कार्यक्रम राष्ट्रपति के आगमन के साथ शुरू होता है। सबसे पहले राष्ट्रपति के घुड़सवार अंगरक्षक राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देते हैं। इस दौरान राष्ट्रगान बजाया जाता है और 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि 21 तोपों से फायरिंग नहीं की जाती है। इसके बजाय, भारतीय सेना की 7- तोपों, जिन्हें 25-पॉन्डर्स के रूप में जाना जाता है, का उपयोग 3 राउंड में फायरिंग के लिए किया जाता है।


सभी प्रतिभागी सुबह 3 बजे तक राजपथ पर पहुंच जाते हैं
परेड के सभी प्रतिभागी सुबह 2 बजे तक तैयार हो जाते हैं और 3 बजे तक राजपथ पर पहुंच जाते हैं। वहीं परेड की तैयारी जुलाई में शुरू होती है, जहां सभी प्रतिभागियों को उनकी भागीदारी के बारे में औपचारिक रूप से सूचित किया जाता है। अगस्त तक, वे अपने संबंधित रेजिमेंट केंद्रों पर परेड का अभ्यास करते हैं और दिसंबर तक दिल्ली पहुंच जाते हैं।

सभी टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और आधुनिक उपकरणों की जांच
भारत की सैन्य शक्ति को दर्शाने वाले सभी टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और आधुनिक उपकरणों के लिए इंडिया गेट के परिसर के पास एक विशेष शिविर का आयोजन किया जाता है। प्रत्येक तोप की जांच प्रक्रिया और व्हाइटवाॅश का काम ज्यादातर 10 चरणों में किया जाता है।

निर्णय के आधार पर, बेस्ट मार्चिंग ग्रुप का खिताब दिया जाता
26 जनवरी की परेड की रिहर्सल के लिए हर ग्रुप 12 किलोमीटर की दूरी तय करता है लेकिन 26 जनवरी के दिन वे 9 किलोमीटर की दूरी ही तय करते हैं। परेड के दौरान जजों को बैठाया जाता है, जो 200 मापदंडों के आधार पर प्रत्येक भाग लेने वाले ग्रुप का फैसला करते हैं, और इस निर्णय के आधार पर, बेस्ट मार्चिंग ग्रुप का खिताब दिया जाता है।

अंत तक की जाने वाली प्रत्येक गतिविधि पूर्व-संगठित होती है
26 जनवरी परेड कार्यक्रम में शुरुआत से लेकर अंत तक की जाने वाली प्रत्येक गतिविधि पूर्व-संगठित होती है। इसलिए, छोटी से छोटी त्रुटि और कम से कम मिनटों की देरी भी आयोजकों को भारी पड़ सकती है। वहीं परेड के आयोजन में भाग लेने वाले प्रत्येक सैन्यकर्मी को जांच के 4 लेवल से गुजरना पड़ता है।

इन झांकियों के चालक इन्हें एक छोटी सी खिड़की से चलाते हैं
परेड में शामिल झांकियां लगभग 5 किमी/घंटा की गति से चलती हैं, ताकि महत्वपूर्ण लोग उन्हें अच्छी तरह से देख सकें। आपको जानकर हैरानी होगी कि इन झांकियों के चालक इन्हें एक छोटी सी खिड़की से चलाते हैं।

परेड में फ्लाईपास्ट की जिम्मेदारी पश्चिमी वायु सेना कमान पर
आयोजन का सबसे आकर्षक हिस्सा फ्लाईपास्ट है। फ्लाईपास्ट की जिम्मेदारी पश्चिमी वायु सेना कमान पर है, जिसमें लगभग 41 विमानों की भागीदारी शामिल है। परेड में शामिल विमान वायु सेना के विभिन्न केंद्रों से उड़ान भरते हैं और एक निश्चित समय पर राजपथ पर पहुंच जाते हैं।

परेड कार्यक्रम में अबाइड विद मी गीत जरूर बजाया जाता है
प्रत्येक गणतंत्र दिवस परेड कार्यक्रम में अबाइड विद मी गीत बजाया जाता है क्योंकि यह महात्मा गांधी का पसंदीदा गीत था।

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