कानपुर। अजित वाडेकर भारत के बाएं हाथ के बल्लेबाज थे। साल 1966 से लेकर 1974 तक उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला। मिडडे की रिपोर्ट के मुताबिक, वाडेकर एक आक्रामक बल्लेबाज माने जाते थे वहीं कप्तानी की बात आती है तो वह टीम इंडिया के 'असली कैप्टन कूल' कहे जाते हैं। इंटरनेशनल डेब्यू से पहले वाडेकर ने 8 साल फर्स्ट क्लॉस मैच खेला। वह नंबर तीन पर आकर बल्लेबाजी करते थे। यही नहीं स्लिप में उस वक्त उनसे बेहतर शायद ही कोई फील्डर था। साल 1971 में अजित वाडेकर की कप्तानी में ही भारत ने पहली बार इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में कोई सीरीज जीती थी।
वाडेकर के पिता चाहते थे अजित मैथमेटिक्स की पढ़ाई करके इंजीनियर बनें मगर वाडेकर का मन तो खेलने में लगा था। उन्होंने कई सालों तक क्रिकेटिंग स्किल्स सीखने के बाद 1958 में फर्स्ट क्लॉस डेब्यू किया। इसके बाद 1966 में वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्हें पहला टेस्ट मैच खेलने को मिला। इसके बाद वह टीम के नियमित खिलाड़ी बन गए। उन्होंने भारत की तरफ से 37 टेस्ट मैच खेले। साल 1974 में टीम इंडिया ने जब पहला वनडे मैच खेला तब टीम की कमान वाडेकर के हाथों में थी। इस तरह वह भारत के पहले वनडे कप्तान बन गए।
1974 में अजित वाडेकर ने अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच खेला। रिटायरमेंट के बाद साल 1990 में वह टीम इंडिया के मैनेजर बन गए। उस वक्त टीम इंडिया की कप्तानी अजहर के हाथों में थी। यही नहीं वाडेकर कुछ समय के टीम इंडिया की सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन भी रहे। वह भारत के उन चुनिंदा लोगों में शामिल हैं जो खिलाड़ी, कप्तान, कोच/मैनेजर और सेलेक्टर रहे हैं। उनके अलावा यह मुकाम लाला अमरनाथ और चंदू बोर्डे कर चुके हैं।
अजित वाडेकर को अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा वह चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से भी नवाजे जा चुके हैं। इसके अलावा सीकेनायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द ईयर जैसे सम्मान भी प्राप्त कर चुके थे।
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