बीबीसी से ख़ास बातचीत में उन्होंने कहा कि किसी के घर में क्या हो रहा है इसमें किसी को दिलचस्पी नहीं लेनी चाहिए। "हमारा मज़हब भी कहता है कि ऐसे मामलों में केवल अफ़सोस जताना चाहिए।"
रेहाम ने कहा, "तलाक़ के बाद अब यह अध्याय समाप्त हो गया है और इस पर अब बात नहीं होनी चाहिए। मीडिया में जिस तरह की बातें हो रही हैं उससे देश की छवि दुनिया में ख़राब हो रही है।"
तलाक़ की वजह पूछने पर उन्होंने कहा, "हमारी शादी इसलिए टूटी क्योंकि हम लोगों की आपस में बन नहीं पाई। लेकिन मुझ पर जो आरोप लगाए गए वे अफसोसनाक हैं।"
रेहाम कहती हैं, "पाकिस्तान में अगर कोई औरत तलाक़ के बारे में सोचती भी है तो उसे बहुत डराया धमकाया जाता है। उसके बारे में तरह-तरह की बातें की जाती हैं। यह अच्छी बात नहीं है. हमें तलाक़ का हक़ है।"
उन्होंने कहा कि जो तलाक़ की प्रक्रिया से गुज़र रहा होता है उसके लिए बड़ी तकलीफ़देह स्थिति होती है। ऐसी स्थिति में किसी तरह के आरोप से परहेज़ करना चाहिए।
इमरान से शादी के बारे में रेहाम ने कहा, "मैंने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के अध्यक्ष के साथ शादी नहीं की, किसी सेलिब्रिटी या क्रिकेट आइकन के साथ शादी नहीं की। मैंने एक ऐसे इंसान से शादी की जिनकी ज़िदगी मेरी तरह ही गुज़री है। उनका तलाक़ हो चुका था। बच्चों की जुदाई थी। मुझे लगा कि वह अकेले हैं और मैं उनकी मदद कर सकती हूं।"
उन्होंने कहा, "जब पाकिस्तान के बारे में हमारी बातचीत हुई तो मुझे लगा कि हमारी दिशा एक है। मैंने उनसे कहा कि आप इतनी बड़ी हस्ती हैं मैं आपसे शादी कैसे कर सकती हूं। इस पर वह हंसे और उन्होंने कहा कि हर काम तो मैं पब्लिक के लिए नहीं कर सकता हूं।"
यह पूछने पर कि क्या वह राजनीति में आना चाहती थीं और इमरान के मना करने पर उन्होंने तलाक़ का फ़ैसला किया, रेहाम ने कहा, "कोई भी पाकिस्तानी औरत ऐसी किसी बात पर तलाक़ का फ़ैसला नहीं कर सकती। मैंने ख़ान साहब को राजनीति में इसलिए सपोर्ट किया क्योंकि वह मेरे परिवार का हिस्सा थे। अगर वह किसी और पेशे में होते तो भी मैं उनकी मदद करती।"
उन्होंने कहा, "मेरे सियासत में आने पर ख़ान साहब को कोई आपत्ति नहीं थी। लेकिन मैं सियासत में नहीं आ सकती थी क्योंकि मेरी दोहरी नागरिकता है। मेरी सियासत में कोई दिलचस्पी नहीं थी मैं सिर्फ ख़ान साहब को कामयाब देखना चाहती थी।"
रेहाम कहती हैं, "सियासत से पाकिस्तान के मसले हल नहीं होंगे। हमें अपनी सोच बदलनी पड़ेगी। मैं चाहती हूं कि ख़ान साहब के इर्दगिर्द अच्छे लोग हों जो पाकिस्तान को सही रास्ते पर आगे ले जाएं। जब तक देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं होंगे, तब तक अच्छे उम्मीदवार जीतकर नहीं आएंगे।"
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