12 साल में पहली बार चखा खून का स्वाद

ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बन शहर में रहने जॉर्जिया कॉन्डन पेशे से एक मेकअप आर्टिस्ट हैं। जॉर्जिया ने बताया कि जब वो मात्र 12 साल की थी तब उन्हे खून पीने का चस्का लगा। एक चोट लगने के दौरान खून रोकने के लिए जब जॉर्जिया ने उसे मुंह से रोका तो उन्होंने पहली बार खून का स्वाद चखा। ड्रेकुला की तरह जॉर्जिया को धूप तथा अल्ट्रावॉयलेट रोशनी में काफी परेशानी होती है। वह अपनी त्वचा पर टेल्कम पाउडर लगाती हैं। धूप में वो अपनी आंखों को काले चश्मे से कवर करती हैं।

शुरु किया खुद का खून पीना

13 साल की उम्र में उनके दिमाग में खून पीने का ऐसा भूत सवार हुआ कि उन्होंने खुद को काटकर खून पीना शुरू किया। जब वह 17 साल की हुईं तब एक रात वो दोस्तों के साथ बाहर पार्टी करने गई थी। जॉर्जिया ने बताया कि तग ग्रुप में एक लड़की ने मुझे अपना खून पीने का ऑफर दिया। जब मैंने उसके खून को पीया तो मुझे उसका ब्लड मेरे खून से ज्यादा अच्छा लगा। जिसके बाद मैंने एक कल्ब की स्थापना की। जिसमें शामिल सदस्य स्वेच्छा से अपना खून पिलाते हैं।

जब ब्यायफ्रेंड ने दिया खून पीने का ऑफर

2013 में उनकी मुलाकात जमील से हुई। कुछ महीने बाद जब हम साथ रहने लगे तो मैंने उसे यह बात बताई। उसके लिए यह किसी अचंभे से कम नहीं था। जॉर्जिना थैलीसिमिया से पीड़ित है। इस बीमारी में रोगी को खून पीने की आदत होती है। वह जमील का खून हफ्ते में एक बार पीती हैं। उन्होंने बताया कि खून पीना भी सेक्स की तरह सेहत के लिए अच्छा होता है। वह जमील की स्किन को रेजर ब्लेड से काटकर हर दो हफ्ते में खून पीती थी।

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