मुंबई (आईएएनएस)। आचार्य आरबीआई के तीसरे ऐसे बड़े अधिकारी हैं जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया। इनसे पहले आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा दे चुके हैं। आचार्य आरबीआई के डिप्टी गवर्नर पद पर जनवरी 2017 में नियुक्त हुए थेे। सूत्रों की मानें तो वे धीमी अर्थव्यवस्था से निपटने के लिए सरकार समर्थित सार्वजनिक खर्च और खपत बढ़ाने के लिए रेपो रेट में बार-बार कटौती के केंद्रीय बैंक के फैसले के खिलाफ थे। आचार्य का मानना है कि आरबीआई के इस कदम की वजह से वित्तीय अनुशासन भंग हो सकता है और वो इसमें भागीदार नहीं बनना चाहते थे।
विरल के इस्तीफे की आरबीआई ने की पुष्टि
आरबीआई ने अपने एक स्टेटमेंट में कहा, 'आचार्य ने आरबीआई को एक लेटर सौंपा जिसमें उन्होंने लिखा कि कुछ व्यक्तिगत कारणों से वो 23 जुलाई, 2019 से अपने पद पर अपना कार्यकाल जारी रख पाने में असमर्थ हैं। उनका लेटर मिलने के बाद अभी उस पर विचार चल रहा है।' हालांकि लेटर सौंपने के बाद से आचार्य ने उस पर अब तक कुछ नहीं कहा है। आर्थिक व्यवस्था को गति में लाने के लिए आरबीआई ने जून में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी। इस कटौती के लिए रेपो रेट 5.75 प्रतिशत रह गई थी।
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