कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। क्रिकेट फैंस और साथी खिलाड़ियों के बीच 'ऐश' के नाम से मशहूर आर अश्विन को भारतीय क्रिकेट टीम का ऑलराउंडर भी कहा जाता है। शायद ही आप जानते हो कि अश्विन बेहतरीन क्रिकेटर होने के साथ पढ़ने लिखने में भी काफी अच्छे हैं। वह बचपन से ही खेल की दुनिया में अपना करियर बनाना चाहते थे लेकिन उनकी मां पढ़ाई को लेकर काफी सख्त थीं। उनके माता-पिता ने उन्हें कभी भी क्रिकेट खेलने से रोका नहीं लेकिन अश्विन ने पढ़ाई भी जारी रखी। उन्होंने बाद में चेन्नई के एक नामी कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई की और बाद में वह इंजीनियर भी बने।

कोच ने स्पिनर बनने की दी सलाह
उनके पिता एक क्लब क्रिकेटर थे और तेज गेंदबाजी करते थे। अश्विन ने शुरुआती दिनों में अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत ओपनिंग से की जिसके बाद ओपनर गेंदबाज ने मीडियम पेसर के रूप में अपना करियर शुरू किया। उसके बाद अश्विन के बचपन के कोच सीके विजय ने उन्हें ऑफ स्पिनर बनने की सलाह दी। इसका पहला रीजन उनकी अच्छी हाइट थी और दूसरा ये कि अंडर-16 क्रिकेट के दिनों में एक मैच के दौरान अश्विन को चोट लग गई थी जिसके बाद उन्हें स्पिन गेंदबाजी में हाथ आजमाने का सुझाव दिया गया क्योंकि उन्हें दौड़ने में काफी समस्या होती थी

2011 को वर्ल्ड कप की भारतीय टीम में शामिल
अश्विन ने अपने करियर का पहला मैच 2006 में हरियाणा के खिलाफ खेला और कमाल का प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने 6 विकेट लिए और अपने करियर की शानदार शुरुआत की। वहीं साल 2010 में जिम्बाब्वे के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू करते हुए उन्होंने 2 विकेट लिए। साल 2011 में टेस्ट डेब्यू में कुल 9 विकेट हासिल करके अपनी शानदार परफॉरमेंस से सभी को चौंका दिया। वह 2011 में वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे। इतना ही नहीं उन्होंने टेस्ट मैच में 34 बार 5 विकेट लेने का कारनामा किया है, जो टेस्ट में किसी भी भारतीय का दूसरा बेस्ट रिकाॅर्ड है।

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