रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हमले के जख्म हुए ताजा

- 12 साल पहले लश्कर के आतंकियों ने किया था हमला, आठ लोगों की हुई थी मौत

- आतंकियों के अलावा नक्सली भी सुरक्षा बलों पर हमला करने की अपनाते है स्ट्रेटजी

ashok.mishra@inext.co.in
LUCKNOW : पुलवामा में आतंकी हमले ने 12 साल पहले रामपुर स्थित सीआरपीएफ कैंप पर लश्कर ए तोएबा के आतंकियों द्वारा अंजाम दी गयी खौफनाक वारदात के जख्म ताजा कर दिए। इस मामले की सुनवाई अब तक कोर्ट में जारी है और फिलहाल किसी भी आतंकी को सजा नहीं सुनाई जा सकी है। वर्ष 2007 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान आतंकियों ने नये साल की सुबह अचानक हमला बोला था जिसमें सीआरपीएफ के सात जवानों के अलावा एक रिक्शा चालक को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। खास बात यह है कि बीते 12 सालों के दौरान आतंकियों द्वारा सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के कई मामले सामने आ चुके हैं। मार्च, 2014 में नेपाल के रास्ते गोरखपुर आए तहरीक ए तालिबान के आतंकी अब्दुल वली और मोहम्मद फहीम ने खुलासा किया था कि उनको सुरक्षा बलों पर हमला करने भेजा गया है।

वर्दी पहनकर आए थे आतंकी
विगत 31 दिसंबर 2007 को सीआरपीएफ की वर्दी पहने और एके- 47 एवं हथगोलों से लैस चार आतंकवादियों ने देर रात लगभग ढाई बजे रेलवे पटरी के निकट बने सीआरपीएफ कैंप की संतरी चौकी पर धावा बोला था और चार जवानों तथा एक रिक्शा चालक की हत्या कर दी थी। उल्लेखनीय है कि इस हमले के बारे में भी इंटेलिजेंस इनपुट पहले ही मिल चुका था, बावजूद इसके आतंकी अपने इरादों में कामयाब हो गये थे। इस घटना के 40 दिन बाद यूपी पुलिस ने पांच आतंकियों कौसर फारुखी, गुलाब खान, शरीफ हसन, जंग बहादुर खान और फईम अंसारी को गिरफ्तार किया था। ये सभी लखनऊ और बरेली की जेलों में बंद है। शुक्रवार को इस मामले में इन सभी को अदालत में तलब भी किया गया था पर पुलवामा आतंकी हमले के विरोध में अधिवक्ताओं द्वारा हड़ताल का ऐलान किए जाने के बाद उनको वापस भेज दिया गया.

 

सुरक्षा बलों पर निशाना
केवल आतंकी ही नहीं, नक्सली भी सुरक्षा बलों को अपना निशाना बनाने की फिराक में रहते हैं। अक्टूबर 2016 में नोएडा और चंदौली से नक्सलियों से बरामद गोला-बारूद ने खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ा दी थी। सुरक्षा बलों को निशाना बनाने की आशंका के मद्देनजर यूपी के साथ दिल्ली और एनसीआर में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया था। इससे पहले यूपी एसटीएफ ने हार्डकोर नक्सली लालव्रत कोल को गिरफ्तार किया था जो चंदौली में पीएसी के ट्रक को लैंड माइन से उड़ा दिया था। वहीं मेरठ से बिहार के नक्सलियों के जोनल कमांडर चंदन उर्फ चनारिक दास को भी एसटीएफ ने पकड़ा था। उसने बिहार के गया के डुमरिया इलाके में लैंडमाइन से पुलिस की जीप उड़ा दी थी जिसमें सीआरपीएफ के डिप्टी कमांडर समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी थी।