पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। चैत्र माह शुक्लपक्ष की नवमी को हिन्दू सम्प्रदाय द्वारा भगवान राम के जन्मदिन को राम नवमी के रूप में मनाते हैं।चैत्र माह के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में सूर्यवंश में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म हुआ था।नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र मिलने पर ही यह पर्व होता है, पुनर्वसु नक्षत्र के न मिलने पर यदि दोपहर में नवमीं मिले तो यह पर्व मनाया जाता है।इस बार 10 अप्रैल 2022,रविवार को मध्यान्ह व्यापिनी तिथि राम नवमी है।इस दिन नवमी तिथि पूरे दिन रात रहेगी।

कर्क लग्न में श्रीराम जन्मोत्सव

इस दिन नक्षत्रों का सम्राट पुष्य नक्षत्र सूर्योदय से पूरे दिन रात रहेगा एवं शुभ "सुकर्मा योग " पूर्वहन 12:03 बज़े तक रहेगा तत्पश्चात धृति योग आरम्भ होगा कर्क लग्न पूर्वहन्न 11:45 बजे से अपराह्न 2:03 बजे तक रहेगी।इसी कर्क लग्न में श्रीराम जन्मोत्सव मनाने का विधान है।इस दिन शास्त्रोंक्त माध्यन्ह कालीन अभिजित मुहूर्त पूर्वहन्न 11:39 बज़े से माध्यहन्न 12:39 बजे तक रहेगा।

व्यवसायी जन स्थिर लग्न में करें खाता पूजन

इस दिन प्रातः कालीन स्थिर लग्न वृष लग्न प्रातः काल 7:35 बज़े से 9:31 बजे तक रहेगी। इस लग्न में चर -लाभ * की संयुक्त बेला प्राप्त हो रही है। ज्योतिष के अनुसार इस लग्न में लग्नेश - श्रेष्ठश दशम भाव में द्वितीयेश एवं पंचमेश द्वादश भाव में तृतीय चतुर्थ भाव में तथा चतुर्थेश द्वादश भाव में सप्तमेश और द्वादशेष दशम भाव में स्थित है। इस वृष लग्न में चर लाभ अमृत की संयुक्त बेला भी प्राप्त हो रही है। दूसरा स्थिर लग्न मुहूर्त *सिंह लग्न अपराह्न 2:08 बजे से 4:28 बजे तक रहेगी।इस लग्न में सभी ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त रहेगी। चंद्र के द्वादशस्थ दोष होने के कारण चंद्र का दान उपाय करना शुभ रहेगा।

निम्न चौघड़िया मुहूर्त में भी कर सकते हैं खाता पूजन

प्रातः काल 7:35 बजे से 12:10 बजे तक चर -लाभ-अमृत का चौघड़िया मुहूर्त, अपराह्न 1:45 बजे से अपराह्न 3:20 बजे तक शुभ चौघड़िया मुहूर्त,रात्रि 6:25 बजे से रात्रि 9:35 बजे तक शुभ-अमृत के चौघड़िया मुहूर्त में । इन शुभ मुहूर्तों में गणेश,लक्ष्मी एवं कुबेरादि का पूजन कर लाभ अर्जित कर सकते हैं।

पूजन विधि-विधान

राम नवमी के दिन व्रती को स्नानादि करके संकल्प करना चाहिए। भगवान राम,माता सीता व लक्ष्मण की मूर्तियों का पूजन षोडशोपचार से करना चाहिए।पूजा में रोली,कुंकुम, चावल,फूल,घंटी,शंख आदि का प्रयोग कर जल अर्पित करें।इसके बाद मुट्ठी भर चावल चढ़ाएं।आरती करें।