ज्योतिष दृष्टिकोण से कर्क लग्न में श्री राम जन्मोत्सव मनाया जाता है। व्यापार आदि कार्यो में स्थिर लग्न लेना ही श्रेष्ठ रहता है। राम नवमी के दिन कर्क लग्न के अनुसार, द्वितीयेश सूर्ये, नवम भाव में तृतीयेश व द्वादशेष बुध के साथ मीन राशि पर स्थित है, तृतीयेश व द्वादशेष बुध यद्यपि अशुभ है, फिर भी बुधादित्य योग का निर्माण कर रहा है।
मंगल एकादश भाव में पंचम त्रिकोण व दशम केन्द्र का स्वामी होने के कारण अति शुभ और योग कारक है। अतः कर्क लग्न में खाता (बसना) पूजन करने के लिए केतु, बुध, राहु व शनि का दान करके पूजन करना ठीक रहेगा। यह पूजन चर व लाभ चैघड़िया में अपराह्न 12ः10 से लेकर अपराह्न ह 03ः10 बजे तक अति उत्तम रहेगा।
दूसरा पूजन मुहुर्त सिंह लग्न अपराह्न 01:51 बजे से लेकर सायं 04ः05 बजे तक रहेगी। इस लग्न में लग्नेश सूर्य, अष्टम भाव में द्वितीयेश व एकादशेश बुध है जो कि अशुभ है। शुक्र कुभ राशि पर सप्तम भाव में है, अतः सर्वाधिक योग कारक है, मंगल दशम भाव में नवम त्रिकोण व चतुर्थ केन्द्र का स्वामी होने कारण अति शुभ और योग कारक है, शनि गुरु, केतु पंचम में अत्यन्त शुभ फलदायक है। राहु भी एकादश भाव में होने कारण शुभ फल कारक है, अतः इस लग्न में लाभ व अमृत चैघड़िया में पूजन करना शुभ रहेगा।
पूजन का समय
प्रातः काल चर-लाभ-अमृत चैघड़िया की संयुक्त बेला अपराह्न 12ः10 बजे से लेकर अपराह्न 04ः48 बजे तक रहेगी, इसमें खाता पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा।
कैसे करें व्रत/पूजन
राम नवमी के दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर उत्तर दिशा में सुन्दर मण्डप बनाकर राम दरबार की मूर्ति, प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। हनुमान जी को विराजमान करें। इस दिन भगवान राम का मय पंचायतन करना चाहिए। इस मण्डप में विराजमान सीता, राम, लक्ष्मण, हनुमान जी का विविध उपचारों (जल, पुष्प, गंगाजल, वस्त्र, अक्षत, कुमकुम) आदि से पूजन करें।
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पूजन के बाद आरती करें, यह कह कर कि “हे! पृथ्वी पालक भगवान श्री राम चन्द्र आपके सर्वविघ्न मंगल के लिए यह आरती है, हे! जगन्नाथ इसे आप स्वीकार करें, आपको प्रणाम है।” इसके बाद कपूर तथा घी की बत्ती जलाकार सीता और रामजी की आरती करें। इसी व्रत के साथ वसन्त नवरात्र समाप्त हो जाते हैं।
कृतेनानेन पूजनेन श्री सीतारामाय समर्पयामि।।
— ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा