1. राजेंद्र प्रसाद (1950-62):
भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद थे। वह 12 साल तक देश के राष्ट्रपति पद पर आसीन रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई ऐसे कार्य किए जो देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए नजीर बना। खास तौर पर उनका सोमनाथ मंदिर के जिर्णोद्धार में जाने का फैसला काफी हैरान करने वाला था। उस समय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इस बात को राजी नहीं थे, फिर भी राजेंद्र प्रसाद ने उनकी इच्छा के विरुद्ध यह कदम उठाया।
2. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1962-67):
देश के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन 5 सितंबर को आज भी शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। वह भारत रत्न पाने वाले व्यक्तियों में से एक हैं। वह दर्शनशास्त्री और लेखक थे। वे आन्ध्र विश्वविद्यालय और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति भी थे।
3. डॉ जाकिर हुसैन (1967-69):
डॉ जाकिर हुसैन देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति थे। यह सबसे कम, महज दो साल समय तक देश के राष्ट्रपति रह सके। इनके बाद वीवी गिरी को कार्यकारी राष्ट्रपति बनाया गया था। जाकिर हुसैन प्रसिद्ध शिक्षाविद् और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के संस्थापकों में से थे।
4. वी वी गिरी (1969-74):
डॉ जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद कार्यकारी राष्ट्रपति बनाए जाने के दो महीने बाद ही उन्होंने रिजाइन कर दिया। इसके बाद 1969 में उन्हें देश के चौथे राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। आजादी के समय गिरी को सिलोन तब श्रीलंका का नाम सिलोन था, का हाई कमिशन नियुक्त किया गया। लोकसेवा के क्षेत्र में अप्रतीम सेवा के लिए उन्हें 1975 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
5. फखरूद्दीन अली अहमद (1974-77):
फखरूद्दीन अली अहमद देश के दूसरे मुस्लिम राष्ट्रपति थे। यह वही समय था जब देश में अपातकाल लगा था। उनकी पदस्थ रहते हुए मृत्यु हो गयी। वे दूसरे राष्ट्रपति थे जो अपना कार्यकाल पूरा कर सके। इनके नाम पर असम में एक मेडिकल कॉलेज भी खोला गया है।
6. नीलम संजीव रेड्डी (1977-82):
देश के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी पहले राष्ट्रपति थे जिनका चुनाव निर्विरोध हुआ था। राष्ट्रपति भवन आने वाले रेड्डी सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे। देश की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने अपनी सैलरी का सिर्फ 30 प्रतिशत राशि ही लिया करते थे।
7. ज्ञानी जैल सिंह (1982-87):
ज्ञानी जैल सिंह देश के पहले सिख राष्ट्रपति थे। उनके कार्यकाल में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर उन्हें सिख समुदाय के गुस्से का शिकार होना पड़ा था। यह भी कहा जा रहा था कि उनकी सहमति के बिना ब्लू स्टार ऑपरेशन शुरू करना मुश्किल होता क्योंकि सेना को जारी किए जाने वाले आदेश पर राष्ट्रपति का ही हस्ताक्षर होता है।
8. रामस्वामी वेंकटरमण (1987-92):
देश में यह राजनीतिक अस्थिरता का दौर था। राष्ट्रपति पद पर रहते हुए वेंकटरमण ने 4 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया। अपनी राजनीतिक समझबूझ के लिए वह रह दल के अजीज बने रहे।
9. शंकर दयाल शर्मा (1992-97):
राष्ट्रपति बनने से पहले शंकर दयाल शर्मा देश के उप-राष्ट्रपति भी रह चुके थे। अपने कार्यकाल के दौरान 14 दया याचिकाओं को लौटा देने के लिए उन्हें विशेष रूप से याद किया जाता है।
10. के आर नारायणन (1997-2002):
देश के पहले दलित राष्ट्रपति के आर नारायणन को पारदर्शिता और खुलापन के लिए याद किया जाता है। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने केंद्र सरकार के निर्णय को दो बार मानने से इन्कार कर दिया था। पहले-1997 में उत्तर प्रदेश की काल्याण सिंह सरकार को और दूसरी बार 1998 में बिहार की राबड़ी देवी सरकार को बर्खास्त करने के लोकसभा के निर्णय को उन्होंने लौटा दिया था।
11. एपीजे अब्दुल कलाम (2002-07):
अब्दुल कलाम मुख्यतः वैज्ञानिक थे जिन्होंने मिसाइल और परमाणु हथियार बनाने मुख्य योगदान दिया. इस कारण उन्हें भारत रत्न भी मिला. उन्हें भारत का मिसाइल मैन भी कहा जाता है।
12. प्रतिभा पाटिल (2007-2012):
प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति बनने वाली देश की पहली महिला थी। हालांकि उनका कार्यकाल अपने संबंधियों के साथ विदेश यात्रा को लेकर काफी विवाद में रहा था।
13. प्रणब मुखर्जी (2012-2017):
प्रणब मुखर्जी देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्हें इससे पहले केंद्र में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों में काम करने का अनुभव हासिल था। प्रणब मुखर्जी भारत सरकार में वित्त मंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष रह चुके है। अपने कार्यकाल में उन्होंने 30 से अधिक दया याचिकाओं को खारिज किया। 25 जुलाई को उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके बाद रामनाथ कोविंद नए राष्ट्रपति होंगे।
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